मध्यप्रदेश की अभिनव पहल – किल कोरोना अभियान
सागर-
मध्यप्रदेश ने तीन माह के कठिन परिश्रम से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में सफलता पा ली है। यह कोविड-19 वायरस पर नियंत्रण की ठोस रणनीति का परिणाम है। जन-भागीदारी से तैयार और कार्यान्वित इस रणनीति का एक अहम आयाम “किल कोरोना” अभियान रहा। अभियान सही मायने में सरकार के साथ समाज के खड़े होने का भी सफल उदाहरण रहा।
मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा कोविड के संभावित मरीजों की त्वरित पहचान करने के लिए प्रदेशव्यापी किल कोरोना महा-अभियान सामुदायिक स्तर पर चलाया गया। अभियान में कोरोना के संभावित मरीजों का चिन्हांकन, नये संक्रमण को रोकना और समुदाय में कोरोना संबंधी सतर्कता और जागरूकता का प्रचार किया गया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में इस अभियान को कोरोना की प्रथम लहर के दौरान 1 जुलाई, 2020 में संचालित किया गया था। अभियान में कोरोना की प्रथम लहर में प्रदेश की 8 करोड़ से अधिक जनसंख्या को कवर करने के लिए प्रत्येक परिवार का सर्वे किया गया। सर्वे में संभावित मरीजों की पहचान कर फीवर क्लीनिक्स के माध्यम से उनके नि:शुल्क सैंपल लेने की व्यवस्था की गई।
इस अभियान में कोरोना के संभावित मरीजों की पहचान के चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए स्वास्थ्य विभाग के फ्रंटलाइन वर्कर्स, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि की सर्वे टीम बनाकर हर गाँव और शहर में घर-घर जाकर संभावित मरीजों का सर्वे किया गया। इस कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा सार्थक एप एवं स्टेट कोविड पोर्टल विकसित करके संभावित मरीजों, संक्रमितों एवं उनके प्रथम कॉन्टेक्ट का डेटाबेस तैयार कर इसकी नियमित मॉनिटरिंग की गई। अभियान का प्रथम चरण अपने उद्देश्य में सफल रहा और संक्रमण की चैन को तोड़ने में सहायक सिद्ध हुआ।
दूसरा – तीसरा चरण
किल कोरोना अभियान का दूसरा और तीसरा चरण अप्रैल-मई, 2021 में संचालित किया गया। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संक्रमितों की पहचान के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे टीम द्वारा सर्वे कर संभावित संक्रमितों की पहचान की गई और इनकी जाँच एक पर्यवेक्षण टीम द्वारा की जाकर आवश्यकतानुसार नि:शुल्क मेडिकल किट वितरित की गई। फीवर क्लीनिक्स में संभावित संक्रमितों के सैंपलिंग एवं टेस्टिंग की व्यवस्था की गई। ऐसे संक्रमितों के पास यदि होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं थी, तो उन्हें सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित किए गए कोविड केयर सेंटर्स में रखा गया। सेंटर्स में उनके भोजन, दवाई और प्रोटोकॉल के अनुसार अन्य समस्त व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की गईं।
शहरी क्षेत्रों में कोविड सहायता केंद्र और कोविड हेल्प डेस्क बनाए गए जहाँ प्रत्येक वार्ड के नागरिक लक्षण दिखाई देने पर केंद्र में आकर नि:शुल्क मेडिकल किट प्राप्त कर सकते हैं। कोविड सहायता केन्द्र की टीम ऐसे संभावित संक्रमितों को सबसे नजदीक के फीवर क्लीनिक में भेजकर उनकी सैंपलिंग एवं टेस्टिंग सुनिश्चित कराती है। शहरी क्षेत्र के जिन मरीजों के परिवारों में होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं थी, उन्हें सरकार द्वारा नगरीय क्षेत्र में स्थापित किए गए नजदीकी कोविड केयर सेंटर्स में रखा गया जहाँ उनके भोजन, दवाई और प्रोटोकॉल के अनुसार अन्य समस्त व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की गईं।
अभियान के दूसरे और तीसरे चरण में लगभग 4 लाख संभावित कोविड संक्रमित मरीजों का चिन्हांकन कर उन्हें नि:शुल्क मेडिकल किट देते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि ये सभी लोग होम आइसोलेशन में रहें। इन संभावित संक्रमितों में से 1 लाख 47 हजार से अधिक लोगों की नि:शुल्क टेस्टिंग भी कराई गई।
चौथा चरण
किल कोरोना अभियान का चौथा चरण मई, 2021 के अंतिम सप्ताह में प्रारंभ किया गया। इस चरण में प्रमुख फोकस इस बात पर रखा गया कि भविष्य में कोविड संक्रमण न फैले और वह पूरी तरह से नियंत्रित हो जाए। इस चरण में तीन लक्ष्य रखे गये हैं – कोरोना के हॉटस्पॉट्स की पहचान, संभावित संक्रमितों की निरंतर ट्रेकिंग और मॉनिटरिंग तथा सैंपलिंग, आइसोलेशन और इलाज की सुविधाएँ।
चौथे चरण में भी शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई गई। ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे कर संक्रमण प्रभावित एवं अप्रभावित क्षेत्रों को रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन में विभाजित किया गया। रेड जोन्स में सर्वोच्च प्राथमिकता पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे टीम द्वारा सर्वे कर संभावित संक्रमितों की पहचान की गई और इनकी जाँच एक पर्यवेक्षण टीम द्वारा की जाकर आवश्यकतानुसार नि:शुल्क मेडिकल किट वितरित की गई। फीवर क्लीनिक्स में संभावित संक्रमितों के सैंपलिंग एवं टेस्टिंग की व्यवस्था की गई।
शहरी क्षेत्रों में माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए गए और कोविड हॉटस्पॉट्स की नियमित ट्रेकिंग की व्यवस्था की गई। इन जोन्स में सर्वे के माध्यम से पॉजीटिव केसेस और उनके प्रथम कॉन्टेक्ट का चिन्हांकन किया गया। सभी संक्रमित मरीजों और उनके प्रथम कॉन्टेक्ट को मेडिकल किट प्रदान करते हुए अनिवार्य होम/ संस्थागत आइसोलेशन की व्यवस्था की गई। प्रथम कॉन्टेक्ट के सैंपलिंग एवं टेस्टिंग की व्यवस्था भी की गई।
इस प्रकार किल कोरोना अभियान के माध्यम से मध्यप्रदेश में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों, संभावित मरीजों एवं मरीजों के प्रथम कॉन्टेक्ट को त्वरित गति से पहचान करने में मदद मिली, जिससे कोरोना को कम्युनिटी में स्प्रेड होने से रोकने में सफलता प्राप्त हुई।
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