आज बुद्ध पूर्णिमा को होगा एक साथ लाखों घरों में यज्ञ
सागर-
गायत्री परिवार के संस्थापक वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कथन है कि भारतीय संस्कृति में यज्ञ का बड़ा आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व है, इसीलिए प्रत्येक पर्व त्योहार के उपरांत यज्ञ रखा जाता है, यज्ञ के प्रभाव से नेगेटिव रेजस अर्थात विषैली गैसें नष्ट होती है वही पॉजिटिव रेजस अर्थात सकारात्मक गैसे उत्पन्न होती है जो प्रदूषण को समाप्त करती हैं एवं व्यक्ति को मानसिक शांति और सद्बुद्धि प्रदान करती हैं, वहीं यज्ञ से मनोकामना पूर्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य भी किया जाता है ! गांव गांव में फैल रही कोरोना नामक वैश्विक महामारी को यज्ञ के माध्यम से समाप्त करने का प्रयास गायत्री परिवार द्वारा किया जा रहा है नगर की सभी धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं इस पुण्य कार्य में सहयोग कर रही हैं ! सागर की सभी तहसीलों, गांव गांव के नागरिकों में अपार उत्साह देखने को मिल रहा है ! गायत्री परिवार ट्रस्ट ने नागरिकों से अपील की है कि घर में ही उपलब्ध संसाधनों जैसे शुद्ध, घी, गुड़, कपूर, चावल, इलायची, तुलसी, जवा, तिल इत्यादि से बुद्ध पूर्णिमा के दिन 24 बार गायत्री महामंत्र एवं पांच बार महामृत्युंजय मंत्र की आहुतियां स्वाहा के साथ यज्ञ भगवान को समर्पित करें । अखिल विश्व गायत्री परिवार के वायुमंडल शुद्धिकरण अभियान को जन आंदोलन का स्वरूप देने का आह्वान। वर्तमान में कोविड-19 की वैश्विक आपदा से पूर्ण मुक्ति हेतु अखिल विश्व गायत्री परिवार के परिजनों द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में कोरोना से बचने हेतु 14 मई से 26 मई तक विशेष प्रार्थना साधना व 26 मई बुद्ध पूर्णिमा पर वायुमंडल के शुद्धिकरण हेतु देश भर में लाखों घरों में जड़ीबूटी से गृहे गृहे यज्ञ अभियान के अंतर्गत यज्ञ किया जाना निश्चित किया गया है। गायत्री परिवार सागर के प्रमुख ट्रस्टी डॉ0 अनिल तिवारी जी ने बताया कि आज की भयानक परिस्थिति में इस महामारी को दूर करने में अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को अपनाकर ऋषीमुनियों द्वारा खोजी गई यज्ञ पद्धति अपनाना होगी क्योंकि पर्यावरण वायु प्रदूषण ज्यादा हो गया है इसलिए बीमारियां सम्पूर्ण विश्व को बहुत कष्ट पहुंचा रही हैं इसके लिए सरकार के अलावा सामाजिक पहल करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार ने वायुमंडल शुद्धिकरण का बीड़ा उठाया है। उन्होंने बताया कि यज्ञ से प्रदूषित हवा के घातक सल्फर डाइ ऑक्साइड का असर 10 गुना कम होता है। पौधों की वृद्धि नियमित की अपेक्षा अधिक होती है। अग्निहोत्र की विभूति कीटाणुनाशक होने से घाव, त्वचा रोग इत्यादि के लिए अत्यंत उपयुक्त है। पानी के कीटाणु और क्षारीयता भी कम होती है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान (NBR) संस्थान द्वारा किए गए एक शोध में पता चला है कि यज्ञ और हवन के दौरान उठने वाले धुएं से वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणु 94 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और इससे बीमारी फैलने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।
यह वायुमंडल शुद्धिकरण अभियान गायत्री परिजनों के द्वारा विश्व के 100 से अधिक देशों के साथ सम्पूर्ण भारत के लाखों घरों में एक साथ संपन्न होगा, यह अभियान सागर जोन में भी गति पकड़े हुए हैं इस अभियान में गायत्री परिवार सागर जिले की प्रत्येक शाखा को तहसील व गाँव स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसके तहत सागर जिले में 26 मई को बुद्ध पूर्णिमा पर 5000 से अधिक घरों में गृहे-गृहे यज्ञ के तहत यज्ञ होंगे।
कोविड-19 की वैश्विक आपदा से मुक्ति हेतु विशेष यज्ञ अभियान के द्वारा इस वायुमंडल शुद्धिकरण अभियान में गायत्री परिजनों के साथ-साथ सभी शहर वासी सपरिवार भागीदार बन सकते हैं।
यज्ञ से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए संपर्क सूत्र:- डॉ0 अनिल खरे 094256 55871, श्री रामगोपाल पुजारी 076919 66022, श्रीमती कृष्णा साहू 088788 98306, श्री लखन पटेल 096-855-37851,श्री महाराज सिंह राजपूत 098-262-64245, श्री नरेश यादव 094-251-72207, श्रीमती रजनी गुप्ता 97 13 845421, श्री आर0एल0 शुक्ला 6266 193 822,
इसके लिए दिनाँक 26 मई को प्रातः 8 बजे से 12 बजे के बीच अपनी सुविधानुसार समय पर अपने-अपने घर में गायत्री यज्ञ सम्पन्न करें।
जिसमें अपनी सुविधानुसार घर में ही उपलब्ध हवन सामग्री/गुड़/घी/कपूर/लोंग/के साथ(नीम/गिलोय/नीबू के पत्ते) आदि से 5/11/24 गायत्री मंत्र+ 3/5महामृत्युंजय मंत्र+ अपने इष्ट मंत्रों से या आपको जो भी मन्त्र आता हो उससे एवं 3/5 बार असमय मृत्यु को प्राप्त हुईं दिवंगतात्माओं की शांति हेतु विशेष मंत्र (ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः । शं नो भवत्वर्यमा । शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः । शं नो विष्णुरुरुक्रमः । स्वाहा, इदं दिवंगतानां शांतयर्थं इदं नमम।) से आहुति प्रदान कर यज्ञ के माध्यम से प्रार्थना करें।