सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केसली- एक लक्ष्य प्रमाणित संस्था
सागर –
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केसली एक ग्रामीण अंचल में संचालित होने वाला अस्पताल इसे लक्ष्य का राष्ट्रीय स्तर का सर्टिफिकेट हासिल हआ है यह अपने प्रकार का बेहद सम्मानजनक सर्टिफिकेषन है जो कि जिले में एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केसली को प्राप्त हुआ है पिछले 02 वर्षो से लगातार डॉ सत्यम सोनी जो की बीएमओ भी है वो और उनकी पूरी टीम दिन रात इस प्रयास में लगी रही कि कैसे संस्था देखने में, कार्य करने में एवं कार्यकुषलता में हर चीज में निपुड़ हो सकें ।
मेटिनिटी विंग में अच्छे से अच्छा कार्य किया जा सके अच्छी से अच्छी सुविधाये राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के हिसाब से की जा सकें इसके लिये लगातार राज्य स्तर से , जिला स्तर से एवं स्वयं डॉ सत्यम सोनी द्वारा अपने स्टॉफ को सतत् पषिक्षण देते हुये किया जाता रहा जिसका परिणाम यह हुआ कि पिछले वर्ष दिसम्बर में जब राज्य स्तर ने इस संस्था को निरीक्षण किया तो इसे राज्य स्तरीय सर्टिफिकेटषन दिया, और संस्था का नाम नेष्नल सर्टिफिकेषन के लिये राष्ट्रीय स्तर पर भेजा गया। आज बेहद खुषी का अवसर है कि इस संस्था को अपने कर्मचारियो को अपने किये हुये का प्रतिफल मिल रहा है और उनको राष्ट्रीय स्तर का सर्टिफिकेषन दिया गया।
केसली बी एम ओ डॉ सत्यम सोनी ने बताया कि शिशुओं के जन्म के समय प्रसव कक्षों में देखभाल की गुणवत्ता बेहतर करना अत्यंत ज़रूरी है, ताकि माँ एवं नवजात शिशु दोनों के ही जीवन को कोई खतरा न हो। 2014 में प्रकाशित एक लैंसेट अध्ययन के अनुसार जन्म के समय मृत्यु और विकलांगता का सर्वाधिक जोखिम रहता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘लक्ष्य प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल’ लॉन्च की गई है।
इस कार्यक्रम को प्रसव कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये लॉन्च किया गया है। कार्यक्रम का उद्देश्य 18 महीनों के भीतर ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिये ’फास्ट-ट्रैक’ हस्तक्षेपों को लागू करना है।
यह कार्यक्रम प्रसव कक्ष, मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर और प्रसूति संबंधी गहन देखभाल इकाइयों तथा उच्च निर्भरता इकाइयों में गर्भवती महिलाओं के लिये देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करेगा। लक्ष्य कार्यक्रम सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों और फर्स्ट रेफरल यूनिट तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लागू किया जाएगा। यह गर्भवती महिला और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में जन्म लेने वाले नवजातों को लाभान्वित करेगा।
इस पहल के तहत बहु-आयामी रणनीति अपनाई गई है जैसे-बुनियादी ढाँचे के उन्नयन में सुधार, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध कराना, स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों की क्षमता का निर्माण और प्रसव कक्ष में गुणवत्ता प्रक्रियाओं में सुधार करना। जन्म देने वाली माताओं की गोपनीयता सुनिश्चित करना, प्रसव के दौरान एक आरामदायक स्थिति प्रदान करना, महिलाओं के साथ मौखिक या शारीरिक रूप से अनुचित व्यवहार की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करना और अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा किसी भी तरह के शुल्क या पारितोष की मांग नहीं किया जाना कार्यक्रम में शामिल कुछ दिशानिर्देश हैं।
मातृ एवं नवजात शिशु रुग्णता और मृत्यु दर में कमी। डिलीवरी के दौरान तथा तत्काल बाद की अवधि में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को सम्मानित मातृत्व देखभाल प्रदान करेगी और अन्य लाभार्थियों की संतुष्टि में वृद्धि करेगी।
प्रसव कक्ष में देखभाल सुविधाओं का मूल्यांकन
प्रसूति कक्ष और मैटरनिटी में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के माध्यम से किया जाएगा। एनक्यूएएस पर 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधा को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।
इसके अलावा एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिंग की जाएगी। 90, 80 एवं 70 प्रतिषत से अधिक स्कोर करने वाली सुविधाओं को क्रमशः प्लैटिनम, गोल्ड और सिल्वर बैज दिये जाएंगे।
एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने वाली, परिभाषित गुणवत्ता संकेतकों और 80 प्रतिशत संतुष्ट लाभार्थियों वाली सुविधाओं को मेडिकल कॉलेज अस्पताल, ज़िला अस्पताल और थ्त्न् के लिये क्रमशः 6 लाख, 3 लाख और 2 लाख रुपए का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश बौद्ध ने बताया कि भारत ने पिछले एक दशक में मातृ मृत्यु दर के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रगति की है। 2001-03 के 301 से घटकर 2011-13 में 167 होने से एमएमआर में 45 प्रतिशत की प्रभावशाली गिरावट आई है। प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर माताओं की होने वाली मृत्यु को डडत् के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस प्रगति को जारी रखने के लिये मंत्रालय द्वारा भारतीय संदर्भ के अनुसार सुरक्षित प्रसव एप भी शुरू किया गया था जिसमें महत्त्वपूर्ण प्रसूति प्रक्रियाओं पर नैदानिक निर्देशात्मक फिल्में डाली गई हैं, जिनसे स्वास्थ्य कर्मचारियों को अपने कौशल को व्यवहार में लाने में मदद मिल रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सफल कार्यान्वयन से भी देश में संस्थागत प्रसव की दर में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली हैं। लक्ष्य पहल भी इसी दिशा में उठाया गया एक प्रगतिशील कदम है।
डॉ ज्योति चौहान नोडल अधिकारी लक्ष्य के अनुसार इससे प्रसव कक्षों और ऑपरेशन थियेटर में गर्भवती माँ की देखभाल बेहतर होने की उम्मीद है। साथ ही नवजात शिशुओं के जन्म के समय अवांछनीय प्रतिकूल स्थिति के उत्पन्न होने से बचा जा सकेगा।
बी एम ओ डॉ सत्यम सोनी ने अपनी इस उपलब्धि का सम्पूर्ण श्रेय कार्यक्रम का क्रियान्वयन करने वाले अपने अधीनस्थ स्टाफ एवं लगातार सहयोग एवं प्रशिक्षण देने वाले अपने वरिष्ठ अधिकारियों एवं सहयोगीयों को दिया है
डॉक्टर सत्यम सोनी से जब कोरोनावायरस के संबंध में पूछा उन्होंने बताया कि यह महामारी हमारी और आपकी गलती से तेजी से चल रही है इसमें हम सभी की गलतियां हो रही हैं हम शासन की गाइडलाइन का समय सीमा में पालन नहीं कर सके और बीमारी एक दूसरे को ट्रांसफर करते रहे उन्होंने बताया कि हमसे गलती कहां हो रही है
हम कर रहे हैं बीमारी को पहचानने में देरी।हम कर रहे हैं बीमारी को स्वीकार करने में देरी।हम कर रहे हैं इलाज शुरू करने में देरी। हम कर रहे हैं कोरोना टेस्ट कराने में देरी।हम कर रहे हैं लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार करना और तुरंत इलाज शुरू नही करना। हम कर रहे हैं बीमारी की गंभीरता को समझने में देरी। हम कर रहे हैं दवाइयों से डर के कारण सारी दवाइयां खाने के बजाय आधी अधूरी दवाइयां खाना। हम कर रहे हैं पांचवे या छठे दिन तबियत ज्यादा खराब होने पर भी ब्ज् और ब्लड टेस्ट में देरी।हम कर रहे हैं दूसरे स्टेज का ट्रीटमेंट छठे दिन से करने में देरी
ऑक्सीजन लेवल नापने में लापरवाही के कारण ऑक्सीजन लेवल गिरने को समय से पकड़ न पाना।ऑक्सीजन गिरने पर अस्पताल पहुंचने में देरी। छठे दिन एचआरसीटी टेस्ट में 15/25 या उससे ऊपर का स्कोर आने पर भी घर में इलाज और तुरंत अस्पताल में भर्ती हों कर ट्रीटमेंट न लेना।