बीएमसी में सफल नेत्र प्रत्यारोपण कोर्निया दान ने दो मरीजों को मिली नई रोशनी
सागर। बीएमसी में सफल नेत्र प्रत्यारोपण और कोर्निया दान ने दो मरीजों को खोई हुई रोशनी लौटा दी है। डीन डॉ पी एस ठाकुर ने कहा है कि कोर्निया प्रत्यारोपण और नेत्र दान दृष्टिहीन लोगों के लिए जीवन रोशन करने वाला कार्य है। दान किए गए स्वस्थ कोर्निया द्वारा क्षतिग्रस्त पुतली को बदला जाता है, जिससे धुंधलापन, दर्द और नजर की समस्या दूर होती है। यह पूरी तरह निशुल्क और निस्वार्थ सामाजिक सेवा है। सागर शहर में ऐसे ही दो मामलों में चिकित्सकों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
एक माह की बच्ची को मिली नई जिंदगी
एक माह की बच्ची, जिसे 15 दिन पहले आंखों में गंभीर संक्रमण के कारण बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के आई वार्ड में भर्ती किया गया था, दोनों आंखों की पुतलियां खराब हो चुकी थीं और वह दर्द से बेहाल थी।
आई बैंक से प्राप्त दान किए गए स्वस्थ कोर्निया से नेत्र चिकित्सकों ने पुतली प्रत्यारोपण सर्जरी की। यह जटिल सर्जरी एनेस्थीसिया टीम की प्रमुख डॉ. शशि बाला की महत्वपूर्ण भूमिका के साथ संपन्न हुई।
सर्जरी के बाद बच्ची की एक आंख से रोशनी लौट आई है, और वर्तमान में वह स्वस्थ है। बच्ची की स्थिति देखकर उसके माता-पिता ने गहरी राहत और खुशी व्यक्त की।
लकड़ी से चोटिल महिला की दृष्टि भी बहाल
दूसरी लाभार्थी 35 वर्षीय महिला है, जिसकी एक आंख लकड़ी लगने से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। पुतली में छाला और संक्रमण के कारण उसकी नजर चली गई थी। आई बैंक व नेत्र रोग विभाग की टीम ने कोर्नियल ट्रांसप्लांट कर उसकी आंख में भी फिर से उजाला लौटा दिया। महिला ने स्वयं को अत्यंत सौभाग्यशाली बताया।
नेत्र प्रत्यारोपण की सुविधा पूरी तरह निशुल्क
बीएमसी मीडिया प्रभारी डॉ सौरभ जैन ने बताया कि बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय, सागर में नेत्र प्रत्यारोपण की सुविधा पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है।
यदि किसी व्यक्ति की पुतली किसी हादसे, चोट या संक्रमण के कारण क्षतिग्रस्त हो जाए, तो वह आई बैंक, नेत्र रोग विभाग में संपर्क कर सकता है। आवश्यक जांचों के बाद मरीज का पंजीकरण किया जाता है और जैसे ही दान से कोर्निया उपलब्ध होता है, मरीज को प्रत्यारोपण हेतु बुलाया जाता है।
सर्जरी टीम में डॉ. प्रवीण खरे (एचओडी),
डॉ. सारिका चौहान, डॉ. रोशी जैन, डॉ. अंजलि विरानी पटेल, डॉ. इतिशा, डॉ. मोदी, डॉ. गरवेश, डॉ. शिवानी और एनेस्थीसिया टीम से डॉ. शशि बाला, डॉ. मनीषा, डॉ. अजमल खान
सहित नर्सिंग अधिकारी एवं पोस्ट-ऑपरेटिव केरेटोप्लास्टी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


