‘ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में सागर सांसद डॉ. लता वानखेड़े के ठोस सुझाव, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने की सराहना
ग्रीन हाइड्रोजन से बायो-फ्यूल तक: ऊर्जा भविष्य पर सागर सांसद की निर्णायक भूमिका
नई दिल्ली/सागर। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की कोर कंसल्टेटिव कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक में सागर सांसद डॉ. लता वानखेड़े ने भारत के ऊर्जा भविष्य को लेकर एक समग्र, व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल, एथनॉल ब्लेंडिंग, नेचुरल गैस, स्किल डेवलपमेंट, रिसर्च और वित्तीय सुधारों पर उनके सुझावों को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने सराहा और इन्हें नीति निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
ग्रीन हाइड्रोजन: आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी भारत की दिशा
डॉ. लता वानखेड़े ने ग्रीन हाइड्रोजन को भारत की ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक आत्मनिर्भरता और जलवायु लक्ष्यों का निर्णायक स्तंभ बताया। उन्होंने क्षेत्रवार ग्रीन हाइड्रोजन हब, बंदरगाह आधारित उत्पादन एवं निर्यात केंद्र, ऊर्जा-गहन उद्योगों में चरणबद्ध उपयोग और Make in India के तहत Electrolyser Manufacturing को विशेष प्रोत्साहन देने का ठोस सुझाव रखा। पायलट प्रोजेक्ट्स को व्यावसायिक स्तर तक पहुँचाने हेतु Viability Gap Funding की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया।
एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को केवल ईंधन नीति नहीं बल्कि किसान आय, पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता का सशक्त माध्यम बताते हुए डॉ. वानखेड़े ने 2G बायो-रिफाइनरीज और कृषि अपशिष्ट आधारित उत्पादन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया। उन्होंने FPOs के लिए अश्योर्ड प्रोक्योरमेंट, जिला स्तर पर छोटे-मध्यम एथनॉल प्लांट्स, तथा सप्लाई चेन के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी और आधुनिक स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की बात रखी।
नेचुरल गैस को रणनीतिक ट्रांजिशन फ्यूल बताते हुए डॉ. वानखेड़े ने CGD नेटवर्क का विस्तार छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों तक करने की आवश्यकता जताई। PNG हाउसहोल्ड कनेक्शंस को प्रोत्साहन, नए CNG स्टेशनों की स्थापना और सार्वजनिक परिवहन में CNG के व्यापक उपयोग को उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में अहम कदम बताया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि एनर्जी ट्रांजिशन मानव संसाधन ट्रांजिशन भी है। ऑयल एंड गैस सेक्टर के कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रि-स्किलिंग और अप-स्किलिंग योजनाओं, ITIs और पॉलिटेक्निक्स को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों से जोड़ने तथा महिलाओं के लिए विशेष स्किल मॉड्यूल और रोजगार अवसर सुनिश्चित करने पर उनका जोर रहा।
डॉ. वानखेड़े ने भारत को तकनीक का आयातक नहीं बल्कि नवाचारकर्ता बनाने की आवश्यकता रेखांकित की। CCUS, ग्रीन हाइड्रोजन स्टोरेज और एडवांस्ड बायो-फ्यूल्स जैसे क्षेत्रों में लक्षित अनुसंधान, PSUs–अकादमिक सहयोग, ऊर्जा स्टार्टअप्स को मंच देने, तथा Dedicated National Energy Transition Fund, मजबूत PPP मॉडल, रिजल्ट्स-लिंक्ड फंडिंग और सिंगल-विंडो क्लीयरेंस की वकालत की।
सांसद डॉ. लता वानखेड़े ने विशेष तौर पर ज़ोर देते हुए कहा कि
स्थानीय निकायों के साथ वेस्ट-टू-बायो CNG संयंत्र, जिला स्तर पर एनर्जी स्किल कैंपस, और युवाओं व महिलाओं की सक्रिय भागीदारी—इन प्रस्तावों ने यह स्पष्ट किया कि उनका दृष्टिकोण नीति से लेकर पंचायत तक प्रभावी क्रियान्वयन पर केंद्रित है।
बैठक के समापन पर केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने डॉ. लता वानखेड़े के सुझावों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके विचार विकसित भारत के ऊर्जा रोडमैप को मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
डॉ. वानखेड़े ने अपने संबोधन में कहा कि,
“एनर्जी ट्रांजिशन केवल तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मानवीय परिवर्तन है। किसान, श्रमिक, महिला, युवा और पिछड़े क्षेत्र—सभी को साथ लेकर चलना ही विकसित भारत की असली नींव है।”
सागर की सांसद के रूप में डॉ. लता वानखेड़े की यह भूमिका न केवल क्षेत्र के लिए, बल्कि राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के लिए भी एक दूरदर्शी और प्रेरणादायी उदाहरण बनकर सामने आई है।

