Saturday, December 6, 2025

गौर विश्वविद्यालय में ‘स्वायत्तता, नैतिक अभिकरण और पेशेवर नैतिकता’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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गौर विश्वविद्यालय में ‘स्वायत्तता, नैतिक अभिकरण और पेशेवर नैतिकता’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

सागर | डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के दर्शनशास्‍त्र विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अभिमंच सभागार एवं दर्शनशास्‍त्र विभाग में किया गया। संगोष्ठी का मुख्य विषय “स्वायत्तता, नैतिक अभिकरण और पेशेवर नैतिकता था, जिसने विद्वानों और छात्रों को गहन चिंतन के लिए मंच प्रदान किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रतिनिधि डॉ. दिवाकर शुक्ल थे, जबकि कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने सम्मानित अतिथि के रूप में गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने की।

संगोष्ठी के निदेशक दर्शनशास्‍त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार तिवारी, संयोजक डॉ. अर्चना वर्मा, और आयोजन सचिव डॉ. देबस्मिता चक्रबर्ती थीं। मंच का संचालन छात्र अथर्व मिश्रा ने किया। विभागाध्यक्ष डॉ. तिवारी ने सभी का स्वागत करते हुए विषय का परिचय दिया और स्पष्ट किया कि स्वायत्तता का चुनाव हम स्वयं करते हैं, जिसका हमें भली-भांति भान होता है।

कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने ज्ञान और समझ के बीच के अंतर पर प्रकाश डाला और उपनिषद् तथा गीता की महत्ता पर बल दिया। मुख्य अतिथि प्रो. दिवाकर शुक्ला ने स्वायत्तता, नैतिक अभिकरण और पेशेवर नैतिकता के उच्च एवं निम्न पहलुओं की व्याख्या करते हुए कहा कि इन गुणों के स्तर के कारण ही कुछ लोग दानव, मानव और देवता बन जाते हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने विभाग की सराहना की और ऐसे नैतिकता-आधारित आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया, जो व्यक्ति के तीनों पक्षों के विकास में सहायक हों। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. राजन ने बताया कि हमारे कर्तव्य का निर्वहन केवल हम पर नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड पर प्रभाव डालता है, क्योंकि मानव का कार्य प्रकृति से सहसम्बन्धित है।

द्वितीय तकनीकी सत्र में ऑनलाइन माध्यम से प्रो. निर्भय मिश्र और प्रो. के.जे. जॉर्ज ने अपने विचार साझा किए। तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. नरेन्द्र कुमार बौद्ध और डॉ. सत्यनारायण देवलिया ने किया, जिसमें अनेक छात्र-छात्राओं ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए। संगोष्ठी की सफलता में विभाग के छात्र-छात्राओं दिनेश कुमार, शिव कुमार यादव, विभा पाण्डेय, मयंक विनायक राय, दीपक गुप्त, आर्पिता नायक, भूमि त्रिपाठी, रुद्रवर्धन सहित अन्य ने सक्रिय भूमिका निभाई।

समापन सत्र में अध्यक्ष अधिष्ठाता प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार तिवारी ने सभी प्रतिभागियों, सहयोगियों और छात्र-छात्राओं का सम्मान कर उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

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