गाँव से वैश्विक मंच तक हिंदी का परचम — कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताई मीडिया की अहम भूमिका
सागर । ‘न केवल भारत के गांव-गांव में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ रही है, इसके प्रचार-प्रसार में संचार माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पत्र-पत्रिकायें, समाचार-पत्र, आकाशवाणी, दूरदर्शन, रेडियो, सिनेमा, सोशल मीडिया तथा अन्य जनसंचार माध्यमों द्वारा हिंदी को घर-घर पहुंचाने का काम अनवरत जारी है’ यह बात विश्वविद्यालय के राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा अधिकारियों एवं कर्मचारियों हेतु आयोजित हिंदी कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित आकाशवाणी, सागर के कार्यक्रम अधिकारी श्री दीपक निषाद ने कही। आकाशवाणी द्वारा प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि भाषायी गाम्भीर्य को बरकरार रखते हुए आकाशवाणी द्वारा भारत के दूरस्थ स्थित अंचलों तक हिंदी भाषा एवं उसके साहित्य को प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है।
कार्यशाला के संयोजक तथा विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव एवं राजभाषा अधिकारी श्री संतोष सोहगौरा ने बताया कि भाषा शिक्षण में मल्टीमीडिया का उपयोग विश्वविद्यालयी पठन-पाठन में प्रचुरता से किया जा रहा है। हिंदी शिक्षण हेतु पाठ्य सामग्री भी इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है जिसका उपयोग मोबाइल पर भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कार्यालयीन कामकाज में भी यूनिकोड, कंठस्थ, अनुवाद सारथी, हिन्दी शब्द सिंधु आदि टूल्स, फॉण्ट एवं हिंदी शब्दकोश के प्रयोग में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने बताया कि जनसंचार माध्यमों से राजभाषा के प्रचार-प्रसार को गति मिली है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय एकता, प्रशासनिक सुगमता तथा सांस्कृतिक एकजुटता में भी संचार माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान है।
कार्यशाला में पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. मोहन टी.ए., सहायक कुलसचिव श्री राजकुमार पाल एवं श्री दीपक कुमार शाक्य, सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ से डॉ. रूपेन्द्र जुगल चौरसिया एवं श्री सचिन सिंह गौतम, विधि अधिकारी ब्रजभूषण सिंह ठाकुर, ईएमएमआरसी के प्रोड्यूसर श्री माधव चंद्रा, अनुभाग अधिकारी रजनीश जैन, गोपाल प्रसाद रोहित, मंजु कुर्मी, शशि श्रीवास्तव, अनिल कुमार राठौर, विजय कुमार रजक, आकांक्षा पाण्डेय, प्रज्ञा गौर, शिवानी चौरसिया, रितु ठाकुर, पारुल गौड़, प्रियंका भदौरिया, दमयंती प्रजापति, रघुराज सिंह ठाकुर, आदित्य बरमैया, अनस खान, अजब सिंह, मनोज कुमार कावड़े, रेवा राम पटेल, अमन जैन, देवेन्द्र कुमार सिलार, निशांत सोनी, संजय पटेल, महेन्द्र कुमार बाथम, शेखर हेडाऊ, हर्ष शांडिल्य, हर्ष तिवारी, महेन्द्र गौतम, नीतेश जैन, प्रवीण साहू प्रभांशु तिवारी एवं अंकित जैन सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, अनुभागों एवं कार्यालयों में पदस्थ लगभग 50 अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने प्रतिभागिता की। कार्यशाला के दौरान गणमान्य अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए गए।
कार्यशाला का संचालन राजभाषा प्रकोष्ठ के अभिषेक सक्सेना ने किया। विशेष सहयोग श्री विनोद रजक का रहा।


