महंत नरहरिदास “वैष्णव गौरव”की उपाधि से सम्मानित, महंत ने लगाए नेताओ और बिल्डरों पर आरोप
सागर। श्री देव वृंदावन बाग मठ में साकेत वासी महंत हरिभजन दास एवं महंत श्याम बिहारी दास की पुण्य स्मृति में आयोजित पांच दिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन के समापन अवसर पर मठ के महंत नरहरिदास महाराज को “वैष्णव गौरव” की उपाधि से संतों, महात्माओं की उपस्थिति में सम्मानित किया गया।

रामचरित मानस सम्मेलन के दौरान श्रीमद जगतगुरू बालक देवाचार्य जी महाराज काशी, एवं मारुति किंकर जी महाराज काशी ने मंच पर श्री वृंदावन बाग मठ के पीठाधीश्वर नरहरिदास को शाल, श्री फल एवं सम्मान पत्र भेंटकर “वैष्णव गौरव” की उपाधि से सम्मानित किया। इस अवसर पर जगदगुरु बालक देवाचार्य ने कहा कि संकल्प लेकर उसे पूरा करने का सामर्थ्य महंत नरहरीदास जैसे विरले लोगों में ही होता है। उन्होंने देव वृंदावन बाग मठ के विकास का जो संकल्प लिया था उसे एक वर्ष में ही पूर्ण करके दिखा दिया। बालक देवाचार्य ने बताया कि विगत एक वर्ष में महंत जी ने गौलोक वासी महंत श्री श्याम बिहारी दास की परंपरा को जारी रखते हुए अपने प्रयासों से साधु, संत, गौ सेवा का निरंतर कार्य किया तो मठ के विकास में परिक्रमा मार्ग, गजपथ, राजपथ, भक्त निवास, संत निवास, भोजन शाला, गौ शाला, वृंदावन गार्डन, उत्तरी एवं दक्षिणी द्वार, मानस मंच एवं वृंदावन बाग के अधीनस्थ मंदिरों का विकास, सौंदर्यीकरण का कार्य किया है। इन्हीं कार्यों के चलते वृंदावन बाग मठ दिव्य और भव्य नजर आने लगा है। तिली तिराहा स्थित मठ की जमीन पर सर्वसुविधायुक्त आश्रम बनाने का संकल्प भी महंत हरिदास ने लिया है। इस आश्रम में शहर में घूमने वाले भिक्षुकों, अनाथ बच्चों, वृद्धों को आश्रय दिया जाएगा। मंहत श्री की इन्हीं सेवाओं के चलते उन्हें “वैष्णव गौरव” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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हजारों श्रोताओं ने किया मानस श्रवण:
राम चरित मानस सम्मेलन के पांचवें एवं अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए और मानस मर्मज्ञ पातालपुरी पीठाधीश्वर रामबालक दास महाराज काशी, श्रीमद जगद्गुर श्री मारुति किंकर काशी, सूरदास जी रामायणी दमोह, मानस भास्कर पं. विद्यासागर पाण्डेय काशी एवं मानस माधुरी राजकुमारी महोबा की वाणी से रामचरित मानस के अनसुने पहलुओं को सुनकर खुद को कृतार्थ किया।
तीन सौ साधु संतों को दी विदाई: वृंदावन बाग मठ में देश के विभिन्न प्रांतों से लगभग तीन सौ से अधिक साधु संत शामिल हुए। मानस सम्मेलन के समापन अवसर पर महंत नरहरिदास ने सभी साधु संतों को कंबल, द्रव्य दक्षिणा एवं श्री फल भेंटकर सम्मानित किया एवं भावभीनी विदाई दी। मानस सम्मेलन का संचालन आचार्य चंद्रभान तिवारी एवं डॉक्टर देवेंद्र गुरु ने किया।

