सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने इतिहास विभाग को सौंपे 1 लाख रुपया
सागर। विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की 156 वीं जन्म जयंती के आयोजन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे सर्वोच्च न्या्यालय के न्यायमूर्ति श्री सतीश चन्द्र शर्मा ने इतिहास विभाग में शैक्षणिक उन्नयन के लिए विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग के नाम 1 लाख रु. की राशि प्रदान की है। इस राशि का चैक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय.एस. ठाकुर ने इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक अहिरवार को विभागीय शिक्षकों एवं शोधार्थियों की उपस्थिति में सौंपा। इस अवसर पर कुलपति श्री ठाकुर ने इतिहास विभाग के शिक्षकों के मध्य कहा कि जिस शैक्षणिक उन्नयन एवं अकादमिक विकास की भावना से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री सतीश चन्द्र शर्मा ने आपके इतिहास विभाग को 1 लाख रु. की राशि प्रदान की है, मुझे आशा है कि आपका विभाग उनकी आकांक्षाओं और आशाओं पर खरा उतरेगा।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक अहिरवार ने कहा कि माननीय न्यायमूर्ति श्री सतीश चन्द्र शर्मा का इतिहास विभाग से अत्यन्त गहरा और भावनात्मक रिश्ता है उनके पिता प्रो. बैजनाथ शर्मा देश के ख्या्तप्राप्त इतिहासकार एवं बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। प्रो. शर्मा 1979 से 1990 तक एक लंबे कार्यकाल में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रहे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं उनका विद्यार्थी रहा हूँ, उनके पढ़ाये हुए विद्यार्थी आज देश-विदेश में सागर विश्वविद्यालय एवं इतिहास विभाग का नाम रौशन कर रहे हैं एवं अकादमिक, प्रशासनिक, राजनीतिक, वैदेशिक सेवा, सामाजिक सांस्कृातिक क्षेत्रों में अपनी गरीमामय एवं प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
प्रो. अहिरवार ने आगे बताया कि उक्त 1 लाख की राशि से प्रतिवर्ष प्रो. बैजनाथ शर्मा मैमोरियल लैक्चर कराने की योजना तैयार की जा रही है। इसमें विभाग के समस्त शिक्षकों, शोधार्थियों एवं प्रो. शर्मा के पढ़ाये हुए विद्यार्थियों उनके शुभचिन्तकों एवं अन्य सहयोगियों को साथ लेकर एक “मैमोरियल लैक्चर समिति” का गठन किया जायेगा जो समस्त आयोजन को अंजाम देगी। इस अवसर पर इतिहास विभाग को प्रो. ब्रजेश श्रीवास्तव, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. संजय बरोलिया, शोधार्थी अभिलाशा राजपूत, आशू अहिरवार, अदिति बुन्देला, विशेष जोठे, अंभुज श्रीवास्तव, अतुल सिंह, प्रविन्याि श्रीवास्तव, भूपेन्द्र अहिरवार, संजना सिंह, अभय सिंह चौहान, विजय कुमार, निधी सोनी, शिवानी प्रजापति, अखिलेश सैन एवं कुरुण राजपूत आदि उपस्थित थे।


