देवउठनी एकादशी आज: भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे, शुभ कार्यों की होगी शुरुआत..

देवउठनी एकादशी आज: भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे, शुभ कार्यों की होगी शुरुआत..

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जगते हैं, ऐसा पौराणिक मान्यता में वर्णित है। इसी कारण इस तिथि को देवउठनी एकादशी, देवप्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। लंबे चातुर्मास व्रत के समापन के साथ आज से पुनः सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन सहित सभी मंगल कार्य अब संपन्न किए जा सकेंगे।

इस वर्ष देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को रखा जा रहा है, जबकि पारण 2 नवंबर को निर्धारित है।

देवउठनी एकादशी 2025: महत्वपूर्ण समय

एकादशी आरंभ: 1 नवंबर 2025, सुबह 9:11 बजे

एकादशी समाप्त: 2 नवंबर 2025, सुबह 7:31 बजे

व्रत पारण: 2 नवंबर, शाम 6:34 बजे से 8:46 बजे तक

विशेष मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 4:50 AM – 5:41 AM

अभिजीत मुहूर्त: 11:42 AM – 12:27 PM

विजय मुहूर्त: 1:55 PM – 2:39 PM

गोधूलि मुहूर्त: 5:36 PM – 6:02 PM

रवि योग: 6:33 AM – 6:20 PM

पूजा विधि

सुबह स्नान कर घर एवं मंदिर स्थल को स्वच्छ करें। पीले वस्त्र धारण करें और पूर्व दिशा की ओर मुख कर भगवान विष्णु का पूजन करें। दीपक जलाएं, गंगाजल, अक्षत, पुष्प और तुलसी अर्पित करें।

मंत्र जप: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

भगवान को पंचामृत स्नान कराएं और भोग में खीर, मिश्री, फल एवं तुलसी चढ़ाएं। दिनभर व्रत पालन कर कथा श्रवण और संध्या समय देव उठाने का मंत्र पढ़ें:

“उठो देव श्रीहरि, चौमास ब्यो गया,
निंद्रा त्यागो प्रभु, जगत कल्याण करो।”

देवउठनी एकादशी के शुभ उपाय

पीपल वृक्ष के नीचे दीपदान
संध्या समय सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। इससे पितृ दोष शांति व सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

विष्णु-लक्ष्मी पूजन
पीले फूल, तुलसीदल और खीर का भोग लगाने से धन वृद्धि और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

तुलसी पूजा
तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक जलाने से संतान सुख और दांपत्य जीवन में सौहार्द बढ़ता है।

दान पुण्य
कंबल, भोजन या गुड़-चावल दान करने से पाप क्षय एवं शांति प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, आज का दिन विश्व कल्याण, सुख-समृद्धि और शुभ आरंभ का प्रतीक माना जाता है। भक्तगण भगवान विष्णु से मंगल कामनाओं की प्रार्थना करते हैं और भविष्य के लिए उज्ज्वल शुरुआत का संकल्प लेते हैं।

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