सत्संग से ही मिलता है भगवान का साक्षात्कार : श्री इंद्रेश उपाध्याय जी
श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति, त्याग और धर्म के सार की हुई व्याख्या
सागर। सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी के मुखारविंद से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आरती में मुख्य यजमान के रूप में श्रीमती अनुश्री जैन एवं विधायक शैलेंद्र कुमार जैन सम्मिलित हुए। इस अवसर पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया, एडीजी अन्वेष मंगलाम और सुनीलजी देव भी उपस्थित रहे।
कथा वाचन के दौरान पूज्य महाराज श्री ने कहा कि जीवन में सत्संग का बहुत महत्व है। गौ, ब्राह्मण और अग्नि — इन तीनों का एक ही गोत्र होता है, इसलिए इन्हें जो भी अर्पित किया जाता है वह सीधे ठाकुर जी को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि भगवत मिलन में जो बाधा बने, चाहे वह परिवार या कोई भी संबंध हो, उसका त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वही संबंध सार्थक हैं जो हमें हरि से मिला दें।
महाराजजी ने कहा — “विधायक वही सही, जो आपको हरि से मिला दे।”
उन्होंने यह भी बताया कि सनातन एकता कथा के समय बागेश्वर धाम के प्रमुख पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सागर के प्रति अपनी आत्मीयता व्यक्त करते हुए छह माह के भीतर ही पुनः कथा का अवसर प्राप्त होना सौभाग्य की बात कही है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि और भक्तों का ऐसा समर्पण यदि सभी स्थानों पर हो जाए तो संपूर्ण वातावरण राधाकृष्णमय हो जाए।
उन्होंने ओरछा के राजा मधुकरशाह और उनकी रामभक्त धर्मपत्नी की अनूठी भक्ति का वर्णन करते हुए बताया कि उनके त्याग और श्रद्धा से ही श्रीराजाराम का अवतरण हुआ। धर्म वही है जो सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे।
इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि भागवत मात्र हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिम, ईसाई, सिख — सभी के कल्याण का ग्रंथ है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि व्यक्ति का स्वभाव, विचार और आचरण शुद्ध हो, तो उसका धर्म और मजहब नहीं पूछा जाता।
उन्होंने कहा कि सत्य ऐसा बोलना चाहिए जो सबको प्रिय लगे। भूख लगे तो भोजन, नींद आए तो सोना, जीविकापार्जन — यह सब धर्म है लेकिन शरीर की चिंता छोड़कर आत्मा के कल्याण का चिंतन परम धर्म है। प्रसाद महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने एक राजा की कथा सुनाई और कहा कि कथा में देह नहीं लाती, आपकी आत्मा आपको यहाँ लाती है।
उन्होंने जबलपुर के भोलानाथ जी की कथा संदर्भित करते हुए कहा कि ठाकुर जी उसी के अधिकारी हैं जिसके हृदय में ईर्ष्या नहीं होती। उन्होंने सभी से प्रतिदिन कुछ नया पढ़ने, सीखने और भक्तों के चरित्रों का अध्ययन करने का आग्रह किया जिससे दुखों में कमी आती है और संसार को समझने की दृष्टि मिलती है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राज्य मंत्री दिलीप जायसवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी, पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह, नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, पूर्व निगम अध्यक्ष प्रदीप पाठक, नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री, संतोष पांडे, गौरी यादव, दिलीप मलैया, अनिल तिवारी, मनोज जैन, मनीष चौबे, विक्रम सोनी, अमित बैसाखिया, नीरज यादव, प्रासुख जैन, अविनाश जैन, श्रीकांत जैन, मेघा दुबे, प्रीति शर्मा, ऋतु राजपूत, राहुल वैद्य, नितिन बंटी शर्मा, पराग बजाज, रीतेश तिवारी, मनोज रैकवार, निखिल अहिरवार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।
