शरद पूर्णिमा व्रत कथा : धन, सौभाग्य और अमृत समान सुख देने वाली रात्रि

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शरद पूर्णिमा व्रत कथा : धन, सौभाग्य और अमृत समान सुख देने वाली रात्रि

शरद पूर्णिमा का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यह वह रात्रि होती है जब चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत वर्षा करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। अर्थात् “कौन जाग रहा है ?” जो व्यक्ति इस रात जागरण कर लक्ष्मी माँ की पूजा करता है, उस पर धन, सुख और समृद्धि की वर्षा होती है।

पूजा विधि

1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. व्रत का संकल्प लें — “मैं आज शरद पूर्णिमा व्रत कर रहा/रही हूँ, माँ लक्ष्मी और चंद्रदेव की कृपा हेतु।”

3. संध्या के समय घर या खुले आंगन में माँ लक्ष्मी और चंद्रदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

4. दूध और चावल से खीर तैयार करें, उसे चाँदी या मिट्टी के पात्र में रखें।

5. रात्रि में उस खीर को चाँदनी में रख दें, ताकि चंद्रमा की किरणें उस पर पड़ें।

6. चंद्रदेव का ध्यान करें — “हे चंद्रदेव! अपनी शीतलता से मेरे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करें।”

7. माँ लक्ष्मी की आरती करें, रात्रि जागरण व भजन-कीर्तन करें।

8. प्रातःकाल उस अमृतमयी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और परिवारजनों में बाँटें।

व्रत कथा

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार की कन्या अत्यंत सुंदर लेकिन चंचल स्वभाव की थी। विवाह के बाद वह अपने पति के प्रति निष्ठावान नहीं रही, जिसके परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हो गई।
दुखी होकर वह एक साध्वी के पास गई। साध्वी ने उसे शरद पूर्णिमा का व्रत करने का परामर्श दिया। कन्या ने श्रद्धा से यह व्रत किया और माँ लक्ष्मी की आराधना की।
व्रत के प्रभाव से उसका पति पुनर्जीवित हो गया। तभी से यह व्रत स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख और सौभाग्य के लिए करने लगीं।

धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य

शास्त्रों में कहा गया है कि इस रात्रि चंद्रमा से अमृत का संचार होता है। इसलिए जो खीर चाँदनी में रखी जाती है, उसमें अमृत तत्व का प्रवेश होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी, यह वर्ष की सबसे उज्ज्वल और शीतल चांदनी रात होती है। इसकी किरणें शरीर और मन दोनों को शांति प्रदान करती हैं।
आध्यात्मिक रूप से, यह रात ध्यान, जप और साधना के लिए अत्यंत पवित्र मानी गई है।

फलश्रुति (व्रत के लाभ)

जो भक्त श्रद्धा और नियम से शरद पूर्णिमा व्रत करते हैं

उनके जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

धन, सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

कष्टों का नाश होता है और दीर्घायु प्राप्त होती है।

पंडित श्री विकास शरण जी महाराज का संदेश

“शरद पूर्णिमा केवल व्रत नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि की रात्रि है। इस दिन चंद्रमा की शीतलता और माँ लक्ष्मी की कृपा से मन, तन और धन — तीनों की पवित्रता होती है।
श्रद्धा और नियम से किया गया यह व्रत जीवन में अमृत समान सुख और शांति प्रदान करता है। हमारे सनातन धर्म में अनेक व्रत हैं जो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।

कथा वाचक एवं ज्योतिषाचार्य
पंडित श्री विकास शरण जी महाराज 

मोबाइल +91 70670 96579