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रिश्वत में मिले नोट चबाने वाले पटवारी को 3 साल की सजा, लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद न्यायालय ने सुनाया फैसला

रिश्वत में मिले नोट चबाने वाले पटवारी को 3 साल की सजा, लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद न्यायालय ने सुनाया फैसला खंडवा ...

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Gajendra Thakur

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| खबर का असर

रिश्वत में मिले नोट चबाने वाले पटवारी को 3 साल की सजा, लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद न्यायालय ने सुनाया फैसला

खंडवा (मध्यप्रदेश)। मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की सख्त कार्रवाई लगातार जारी है। रिश्वतखोर अफसरों पर नकेल कसने के साथ-साथ अब उन्हें सजा भी मिल रही है। ऐसा ही एक मामला खंडवा जिले से सामने आया है, जहां रिश्वत में पकड़े गए एक पटवारी को अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन साल के सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह वही पटवारी है, जिसने लोकायुक्त के हाथों रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद रिश्वत के नोट मुंह में डालकर चबाने की कोशिश की थी।

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जमीन के नामांतरण में मांगी थी रिश्वत

मामला ग्राम सुरगांव जोशी का है। यहां के निवासी मांगीलाल प्यासे ने 17 जनवरी 2020 को लोकायुक्त इंदौर को शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उनके पिता के नाम पर पटवारी हल्का क्रमांक 32 में लगभग 5 एकड़ कृषि भूमि दर्ज थी। मांगीलाल और उनके भाई इस जमीन का बंटवारा और नामांतरण कराना चाहते थे। इसके लिए जब वे संबंधित पटवारी राजेश धात्रक के पास पहुंचे, तो उसने प्रति पावती 10 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी।

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रंगे हाथ पकड़ा गया पटवारी

शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त ने 21 जनवरी 2020 को ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई। तय योजना के तहत, मांगीलाल ने पटवारी को चार हजार रुपये रिश्वत के रूप में दिए। यह लेनदेन गोखले कंपाउंड बिल्डिंग की तीसरी मंजिल स्थित पटवारी के कार्यालय में हुआ। जैसे ही राजेश धात्रक ने पैसे अपनी पैंट की जेब में रखे, लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।

पुलिस से छुड़ाकर नोट चबाने लगा

जब टीम उसे ऑफिस से नीचे ले जा रही थी, तभी आरोपी पटवारी ने अचानक पुलिसकर्मी से अपना हाथ छुड़ाया और जेब से रिश्वत के चार हजार रुपये के नोट निकालकर मुंह में डाल लिए। उसने नोट चबाने की कोशिश की, ताकि सबूत नष्ट कर सके, लेकिन टीम ने तुरंत उसे काबू में कर लिया।

अदालत ने सुनाई सजा

मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश (लोकायुक्त) की अदालत में हुई। अदालत ने पटवारी राजेश धात्रक को दोषी पाया और उसे तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया। यदि जुर्माना न देने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

लोकायुक्त की ओर से इस प्रकरण की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार पटेल ने की।

लोकायुक्त की लगातार सख्ती

लोकायुक्त संगठन पिछले कुछ महीनों से मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रहा है। खंडवा का यह मामला भी इस बात का संकेत है कि अब रिश्वत लेने वालों को न सिर्फ पकड़ा जा रहा है, बल्कि न्यायालय से उन्हें सजा भी मिल रही है।

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