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मंत्री कैलाश विजयवर्गीय धनतेरस पर बने दुकानदार, पुश्तैनी दुकान पर बैठकर खुद बेचा जब सामान

कैलाश विजयवर्गीय धनतेरस पर बने दुकानदार, पुश्तैनी दुकान पर बैठकर खुद बेचा सामान MP: धनतेरस पर BJP के कद्दावर नेता और केबिनेट ...

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Gajendra Thakur

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कैलाश विजयवर्गीय धनतेरस पर बने दुकानदार, पुश्तैनी दुकान पर बैठकर खुद बेचा सामान

MP: धनतेरस पर BJP के कद्दावर नेता और केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय बने दुकानदार! गल्ले पर बैठे और किया प्रणाम फिर ग्राहकों को तौलकर बेचा किराना सामान

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धनतेरस पर दुकानदार बने कैलाश विजयवर्गीय! सोना-चांदी नहीं, पुश्तैनी दुकान पर बैठकर ‘शक्कर और गुड़’ बेचते नजर आए

कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने धनतेरस पर अपनी परंपरा निभाते हुए इंदौर में पुश्तैनी किराना दुकान पर बैठकर ग्राहकों को खुद सामान बेचा। उन्होंने इस 65 साल पुरानी दुकान को ‘नंदानगर परिवार का मिलन केंद्र’ बताते हुए स्वदेशी के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

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दरअसल, इंदौर में धनतेरस के अवसर पर जहां लोग सोना-चांदी और बर्तन खरीदने में व्यस्त रहे, वहीं प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस दिन एक अलग ही अंदाज में नजर आए। भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजयवर्गीय ने धनतेरस की परंपरा निभाते हुए अपने पुश्तैनी किराना स्टोर पर बैठकर खुद ग्राहकों को सामान बेचते नजर आए। उन्होंने ग्राहकों को तौलकर सामग्री दी, लोगों से हाल-चाल पूछा और पुरानी यादों को ताजा किया।

हर साल की तरह इस बार भी मंत्री विजयवर्गीय नंदानगर स्थित अपनी पुरानी दुकान पर पहुंचे। सफेद कुर्ता-पायजामा में सादगी भरे अंदाज में बैठे विजयवर्गीय ने ग्राहकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस दुकान ने कभी उनके परिवार का पूरा आर्थिक बोझ संभाला था, इसलिए वे इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते हैं।

हर साल धनतेरस पर दुकान जाते हैं
करीब 65 साल पुरानी इस दुकान से मंत्री का परिवार भावनात्मक रूप से जुड़ा है। कभी उनके पिता और चाचा इस दुकान पर बैठा करते थे। अब उनके छोटे भाई विजय इसका संचालन संभालते हैं, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय हर साल धनतेरस पर यहां आते हैं और कुछ घंटे ग्राहकों के बीच बिताते हैं।
नंदानगर परिवार का मिलन केंद्र है
दुकान पर बैठे विजयवर्गीय ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की यह सिर्फ दुकान नहीं, नंदा नगर परिवार का मिलन केंद्र है। यहां तीन पीढ़ियां मिलती हैं। आज भी कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लोग यहां आते हैं।

राजनीति से पहले दुकान चलाते थे
विजयवर्गीय ने कहा की मैंने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत इसी छोटी सी दुकान से की थी। उस वक्त हम चाय की पत्ती, दूध, गुड़ और शक्कर बेचते थे। पहले लोग शक्कर कम और गुड़ ज्यादा खाते थे। पांच पैसे की गुलाब छाप चाय की पुड़िया बिकती थी।

मेरी दुकान आज भी स्वदेशी
विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वदेशी अपनाओ’ संदेश को वे दिल से मानते हैं। मेरी दुकान पर आज भी सब कुछ स्वदेशी है। हम स्वदेशी खरीदते हैं, बेचते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते है।

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