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मध्य प्रदेश सरकार फिर लेने जा रही ₹5200 करोड़ का कर्ज, लाड़ली बहना योजना और स्थापना दिवस कार्यक्रमों के लिए जुटाए जाएंगे फंड

मध्य प्रदेश सरकार फिर लेने जा रही ₹5200 करोड़ का कर्ज, लाड़ली बहना योजना और स्थापना दिवस कार्यक्रमों के लिए जुटाए जाएंगे ...

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मध्य प्रदेश सरकार फिर लेने जा रही ₹5200 करोड़ का कर्ज, लाड़ली बहना योजना और स्थापना दिवस कार्यक्रमों के लिए जुटाए जाएंगे फंड

भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार आज ₹5200 करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है। यह उधारी आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के माध्यम से ली जाएगी, जिसका उपयोग आगामी 1 नवंबर को होने वाले मध्य प्रदेश स्थापना दिवस, लाड़ली बहना योजना, और अन्य सरकारी परियोजनाओं के भुगतान के लिए किया जाएगा।

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सरकार को यह राशि 29 अक्टूबर को प्राप्त होगी। दरअसल, भाईदूज के अवसर पर 1.27 करोड़ लाड़ली बहनों के खातों में ₹250 जमा करने से सरकार चूक गई थी, जिसके बाद यह बड़ा कर्ज लेने का निर्णय किया गया है।

दो हिस्सों में मिलेगा ₹5200 करोड़ का लोन

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आज सरकार दो चरणों में कर्ज उठाएगी —

पहला हिस्सा ₹2700 करोड़ का होगा, जो 21 वर्षों के लिए लिया जाएगा। इस पर ब्याज भुगतान अक्टूबर 2046 तक चलेगा।

दूसरा हिस्सा ₹2500 करोड़ का होगा, जिसकी अवधि 22 वर्ष तय की गई है और ब्याज अदायगी अक्टूबर 2047 तक की जाएगी।

इन दोनों के साथ यह वित्त वर्ष का 20वां और 21वां कर्ज होगा। इस नए लोन के बाद चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार की कुल उधारी ₹42,600 करोड़ तक पहुंच जाएगी।

कर्ज का उद्देश्य: विकास और भुगतान से जुड़ी योजनाएं

राज्य सरकार का कहना है कि यह राशि “कैपिटल एक्सपेंडिचर ऑन प्रोडक्टिव स्कीम्स” के तहत ली जा रही है, जिसे केंद्र सरकार ने आरबीआई के माध्यम से मंजूरी दी है।
इन योजनाओं में मुख्य रूप से सिंचाई परियोजनाएं, बिजली उत्पादन योजनाएं, और सामुदायिक विकास कार्यक्रम शामिल हैं।
देवउठनी एकादशी से पहले लिया जा रहा यह कर्ज सरकार के लिए वित्तीय मोर्चे पर एक अहम कदम माना जा रहा है।

पहले भी ले चुकी है कई बार कर्ज

मोहन सरकार ने इससे पहले भी लगातार बड़े-बड़े लोन उठाए हैं —

1 अक्टूबर को सरकार ने ₹3000 करोड़ का कर्ज लिया था, जिसका ऑक्शन 30 सितंबर को हुआ था।

23 सितंबर को ₹1500-1500 करोड़ के दो कर्ज लिए गए थे।

9 सितंबर को ₹1500-1500 करोड़ और ₹1000 करोड़ के तीन कर्ज लिए गए थे।

26 अगस्त को दो कर्ज — ₹2500 करोड़ और ₹2300 करोड़ के लिए लिए गए थे।

5 अगस्त को सरकार ने कुल ₹4000 करोड़ का कर्ज तीन किश्तों में लिया था।

30 जुलाई को ₹4300 करोड़ के दो कर्ज 17 और 23 साल की अवधि के लिए उठाए गए थे।

इससे पहले 8 जुलाई, 4 जून, और 7 मई को भी सरकार ने क्रमशः हजारों करोड़ के लोन आरबीआई के माध्यम से लिए थे।
इन सभी के साथ अब तक चालू वित्त वर्ष में सरकार कुल ₹42,600 करोड़ से अधिक की उधारी कर चुकी है।

राज्य पर कुल कर्ज ₹4.64 लाख करोड़ के पार

आज के बाद मध्य प्रदेश सरकार का कुल बकाया कर्ज ₹4,64,340 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ता कर्ज राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव तो डाल रहा है, लेकिन सरकार अभी भी आरबीआई द्वारा तय उधारी सीमा के भीतर है।

राजस्व स्थिति: सरकार ने बताया सरप्लस बैलेंस

वित्त विभाग के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार को ₹12,487.78 करोड़ का राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) रहा।
उस वर्ष कुल आय ₹2,34,026.05 करोड़, जबकि खर्च ₹2,21,538.27 करोड़ दर्ज किया गया।
वहीं 2024-25 के संशोधित अनुमान में सरकार की आय ₹2,62,009.01 करोड़ और खर्च ₹2,60,983.10 करोड़ बताया गया है, यानी ₹1,025.91 करोड़ का सरप्लस अब भी बरकरार है।

सरकार का दावा है कि जो भी कर्ज लिया जा रहा है, वह कानूनी और वित्तीय सीमा के भीतर है तथा यह निवेश विकासपरक योजनाओं में ही किया जाएगा।

आर्थिक विश्लेषण: चुनावी वादों और योजनाओं पर असर

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम लोकलुभावन योजनाओं और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए संसाधन जुटाने का प्रयास है।
विशेष रूप से लाड़ली बहना योजना, कृषि परियोजनाएं, और स्थापना दिवस कार्यक्रमों के लिए फंड की आवश्यकता को देखते हुए यह उधारी जरूरी मानी जा रही है।

हालांकि, लगातार बढ़ती उधारी को लेकर विपक्ष ने पहले भी सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि इससे आने वाले वर्षों में राज्य की वित्तीय स्थिति पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।

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