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मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मांगा जवाब

मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मांगा जवाब नई दिल्ली। मध्य प्रदेश ...

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मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मांगा जवाब

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 61 वर्ष करने के मुद्दे पर अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राज्य के न्यायिक अधिकारियों की ओर से दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद हाई कोर्ट प्रशासन ने रिटायरमेंट आयु बढ़ाने से इनकार कर दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने लिया संज्ञान

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि मामले में स्पष्टीकरण आवश्यक है, क्योंकि पहले दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। इसके बावजूद हाई कोर्ट प्रशासन ने इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया है।

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पिछला आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने दी थी दो महीने की मोहलत

मध्य प्रदेश न्यायाधीश संघ की ओर से दाखिल याचिका में बताया गया कि 26 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि राज्य सरकार और हाई कोर्ट यदि चाहें, तो जिला न्यायाधीशों की रिटायरमेंट आयु 61 वर्ष तक बढ़ा सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय पर विचार के लिए हाई कोर्ट को दो महीने का समय भी दिया था।

लेकिन समयसीमा बीत जाने के बाद भी हाई कोर्ट प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल ने संघ के प्रतिनिधियों को मौखिक रूप से बताया कि फिलहाल सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की आवश्यकता नहीं समझी जा रही है।

हाई कोर्ट का रवैया भेदभावपूर्ण  याचिकाकर्ता

याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट का यह रवैया अधीनस्थ न्यायपालिका के साथ “सौतेला व्यवहार” दिखाता है। जबकि अन्य राज्यों में न्यायिक अधिकारियों की सेवा आयु पहले ही 61 वर्ष तक बढ़ाई जा चुकी है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक स्तर पर ऐसी अस्वीकृति न केवल आदेश की अवमानना जैसी है, बल्कि यह न्यायिक पदों पर कार्यरत अधिकारियों के मनोबल को भी प्रभावित करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की रजिस्ट्री से इस पूरे मामले पर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाए कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कोई कानूनी बाधा नहीं बताई गई, तो फिर प्रशासनिक स्तर पर आयु बढ़ाने से इनकार क्यों किया गया।

पृष्ठभूमि और महत्व

देश के कई राज्यों में जिला एवं अधीनस्थ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष तक कर दी गई है। वहीं, मध्य प्रदेश में यह अभी भी 60 वर्ष है। इस अंतर के कारण राज्य के न्यायिक अधिकारियों में असंतोष है। याचिका में यह भी कहा गया है कि आयु सीमा बढ़ाने से न्यायिक प्रणाली को अनुभवी अधिकारियों की सेवाएं अधिक समय तक मिल सकेंगी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में स्थिरता और दक्षता बनी रहेगी।

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