बीना विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने की मांग पर फैसला,हाईकोर्ट ने खारिज की उमंग सिंघार की याचिका
बीना से कांग्रेस विधायक रहीं और वर्तमान में भाजपा में शामिल हुईं निर्मला सप्रे के खिलाफ दायर याचिका को इंदौर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह याचिका नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दाखिल की थी, जिसमें सप्रे की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी।
सोमवार को जस्टिस प्रणय वर्मा की बेंच ने अंतिम आदेश सुनाते हुए कहा कि यह मामला इंदौर पीठ के अधिकार क्षेत्र में विचारणीय नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता चाहे तो इसे मुख्य पीठ के समक्ष पेश कर सकते हैं।
क्या थी याचिका में मांग?
सिंघार ने रिट पिटीशन में कहा था कि 2023 के विधानसभा चुनाव में सागर जिले से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करने वाली निर्मला सप्रे बाद में भाजपा में शामिल हो गईं। इसके बावजूद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया। यह संविधान की अनुसूची 10 का उल्लंघन है, जिसके अनुसार दल बदलने पर विधायक की सदस्यता निरस्त होनी चाहिए।
इससे पहले इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र भी भेजा गया था। तय 90 दिन में कोई कार्रवाई नहीं होने पर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट में हुई बहस
उमंग सिंघार की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने तर्क दिया कि या तो कोर्ट खुद इस पर निर्णय दे या फिर विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने के लिए निर्देशित करे।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा।
जबकि विधायक निर्मला सप्रे की ओर से अधिवक्ता मनीष नायर ने बहस की।
कब बदली थी पार्टी?
निर्मला सप्रे ने 2023 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया था। चुनाव के कुछ ही समय बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। उनकी भाजपा में एंट्री मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में हुई थी।
👉 कोर्ट के इस फैसले के बाद अब मामला मुख्य पीठ के सामने जाने की संभावना है।