ठेकेदार संगठन ने कार्यपालन अभियंता चौहान के खिलाफ सौपा पत्र
बीते दिनों जेई हुआ था लोकायुक्त द्वारा ट्रैप, चौहान की भूमिका भी संदिग्ध
सागर। नगर संभाग सागर में हुई भ्रष्टाचार पर लोकायुक्त की ट्रैप कार्यवाई के बाद हलचल तेज हो गयी हैं। अब कार्यपालन अभियंता अजीत चौहान (नगर संभाग सागर) की संलिप्तता के सम्बन्ध में मध्यभारत विद्युत् ठेकेदार संगठन ने मोर्चा खोल दिया हैं, संगठन ने बिजली विभाग के मुख्य अभियंता समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को एक शिकायत पत्र सौपा हैं।
दरअसल,मध्यभारत विद्युत् ठेकेदार संगठन ने सागर नगर संभाग में पदस्थ कार्यपालन अभियंता अजित चौहान के खिलाफ पत्र सौप कर उन्हें हटाने की माँग की हैं।
संगठन ने पत्र में उल्लेख किया है- जैसा की आपको विदित है आपके अधीनस्थ नगर संभाग सागर में, भ्रस्टाचार पर कार्यवाही करते हुए लोकायुक्त ने (1 लाख रुपये) की रिश्वत लेते हुए कनिस्ट अभियंता को रंगे हांथो पकड़ा और इस पर अभी भी लोकायुक्त की कार्यवाही जारी है।
क्यों की शिकायतकर्ता की शिकायत के अनुशार रिश्वत के एक लाख रुपये कार्यपालन अभियंता अजीत चौहान के कहने पर ही वह कनिस्ट अभियंता मिलन परतेती को दिया गया है, इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।
इससे स्पस्ट होता है की इस प्रकरण में अजीत चौहान की भी भूमिका पूरी पूरी है या संदेहास्पद है ! ऐसी स्थिति में अजीत चौहान को इस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
उपरोक्त संदर्भित पत्रों के माध्यम से पूर्व में भी मध्यभारत विद्युत् ठेकेदार संगठन सागर द्वारा बार बार कार्यपालन अभियंता नगर संभाग सागर को नगर संभाग सागर में हो रहे भ्रष्टाचार को सुधारने एवं ठेकेदारों को हो रही समस्याओं को दूर करने हेतु निरंतर निवेदन किया गया, किन्तु उनके द्वारा अपने कार्य शैली में कोई सुधर नहीं किया गया एवं उसके विपरीत ठेकेदारों को पत्र पर पत्र जारी किए गए एवं उलटे ठेकेदारों की शिकायत भी की गई, जिसके परिणाम स्वरुप ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई।
मध्य भारत विद्युत् ठेकेदार संगठन आपसे यह अनुरोध करता है कि कनिस्ट अभियंता के साथ कार्यपालन अभियंता चौहान को भी इस पद से हटाया जाय। यदि इन्हे नहीं हटाया जाता तो सागर की जनता और ठेकेदारों में असंतोष की स्थिति पैदा हो जाएगी।
उपरोक्त पत्र की एक एक प्रति अधीक्षण अभियन्ता और जबलपुर मुख्य कार्यलय में भी भेजी गई हैं।
इस सारे मामलें पर जब बिजली विभाग के कार्यपालन अभियन्ता से बात करनी चाही तो वह उलजुलूल बाते कर मीडिया पर ही दोषारोपण करने लगे साथ ही वरिष्ठ अधीकारी देवेन्द्र कुमार से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन अटेंड नही किया।