MP : छिंदवाड़ा में कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन, कलेक्टर न मिलने पर कुत्ते को सौंपा गया ज्ञापन
छिंदवाड़ा। किसानों की समस्याओं और खाद की किल्लत को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को छिंदवाड़ा में शक्ति प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट के बाहर भारी संख्या में कार्यकर्ताओं और किसानों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की और हल्की झड़प भी देखने को मिली।
कांग्रेस नेताओं का कहना था कि वे किसानों की समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपना चाहते हैं, लेकिन कलेक्टर के अनुपस्थित रहने पर प्रदर्शनकारियों ने अनोखा तरीका अपनाते हुए कुत्ते को ज्ञापन सौंप दिया। ज्ञापन को कुत्ते के गले में बांधकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उसे उठाया। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व सांसद नकुलनाथ और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
ट्रैक्टर रैली से प्रदर्शन की शुरुआत
प्रदर्शन से पहले कांग्रेस नेताओं और किसानों ने बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली। प्रदेशभर से आए किसान ट्रैक्टर लेकर छिंदवाड़ा पहुंचे और रैली जेल बगीचा मैदान तक पहुंची। यहां सभा का आयोजन किया गया, जिसमें जीतू पटवारी, नकुलनाथ और उमंग सिंघार सहित कई कांग्रेस नेताओं ने किसानों की समस्याओं पर सरकार को घेरा।
जीतू पटवारी का हमला
सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा,
“प्रदेश में खाद की भारी कमी है और किसान परेशान हैं। भाजपा नेता कह रहे हैं कि खाद की कमी नहीं है, तो फिर किसान घंटों लाइन में क्यों लग रहे हैं और उन पर लाठियां क्यों बरसाई जा रही हैं? यह साफ बताता है कि सरकार किसानों के साथ छल कर रही है।”
पटवारी ने नारा दिया – “खाद चोरों, कुर्सी छोड़ो।”
नकुलनाथ का तीखा बयान
पूर्व सांसद नकुलनाथ ने भी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा,
“शासन-प्रशासन और पुलिस किसानों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है। आदिवासी दिवस पर आदिवासियों पर एफआईआर दर्ज की गई और अब खाद मांगने पर किसानों पर केस बनाए जा रहे हैं। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं – कितनों पर एफआईआर करोगे और कितनों को जेल में डालोगे? हम सब गिरफ्तारी देने को तैयार हैं।”
लखन घनघोरिया का आरोप
सभा में पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने भी मंच से बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि,
“2013 में जबलपुर में भी वोट चोरी हुई थी। इसके खिलाफ सांसद विवेक तनखा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। छिंदवाड़ा का चुनाव कांग्रेस हारी नहीं थी, बल्कि चुनाव को लूटा गया था।”