असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय पर 5 लाख जुर्माना
सागर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति में हुई अनियमितताओं को गंभीर माना है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और कार्यपरिषद के 14 नवंबर 2022 को लिए गए निर्णय को निरस्त कर दिया।
याचिका सागर निवासी डा. दीपक गुप्ता ने दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय ने अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए 82 पदों के बजाय 157 पदों पर नियुक्तियां कर दीं। कोर्ट ने माना कि इस अवैधानिक फैसले से योग्य अभ्यर्थियों का हक मारा गया और अवैध रूप से चयनित उम्मीदवारों को बचाने का प्रयास किया गया।
तीन माह में नई भर्ती प्रक्रिया का आदेश
हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि कार्यपरिषद के 7 फरवरी 2020 के निर्णय के अनुसार तीन माह के भीतर नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। साथ ही चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो 14 नवंबर 2022 के निर्णय के तहत नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर 15 नवंबर 2025 से कार्यरत नहीं माने जाएंगे।
जुर्माने की राशि इन खातों में जमा होगी
कोर्ट ने पांच लाख रुपये के जुर्माने को अलग-अलग मदों में जमा कराने का आदेश दिया—
2 लाख रुपये : मप्र पुलिस कल्याण फंड
1 लाख रुपये : नेशनल डिफेंस फंड
1 लाख रुपये : आर्म्ड फोर्सेस फ्लैग डे फंड
50 हजार रुपये : मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
50 हजार रुपये : हाईकोर्ट बार एसोसिएशन
साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय चाहे तो यह जुर्माना कार्यपरिषद के सदस्यों से वसूल सकता है।