गणेश चतुर्थी 2025 : 27 अगस्त को गणपति स्थापना ,शुभ मुहूर्त, पूजन-विधि और जरूरी सावधानियां

गणेश चतुर्थी 2025 : 27 अगस्त को करें गणपति स्थापना जानें सटीक मुहूर्त, पूजन-विधि और जरूरी सावधानियां…….

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का प्रमुख उत्सव है। मान्यता है कि घर में श्रीगणेश की स्थापना से सुख-समृद्धि आती है और जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त (बुधवार) को है। आइए, स्थापना के शुभ समय, विस्तृत पूजन-विधि और आवश्यक सामग्री की पूरी सूची जानें।

गणेश चतुर्थी 2025 के प्रमुख शुभ मुहूर्त (27 अगस्त, बुधवार)

अमृत काल: सुबह 07:33 से 09:09

शुभ चौघड़िया: 10:46 AM से 12:22 PM

गणपति स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय: 11:05 AM से 1:40 PM

राहुकाल आरंभ: 12:22 PM से

सलाह: चूंकि 12:22 PM से राहुकाल शुरू हो जाता है, भक्तजन 11:05 AM पर स्थापना आरंभ करके 12:22 PM से पहले ही मूर्ति-स्थापना की विधि पूर्ण कर लें। यदि संभव न हो, तो राहुकाल से पूर्व ही संपूर्ण स्थापना संपन्न करें।

गणेश स्थापना स्टेप-बाय-स्टेप पूजन-विधि

1. प्रातः संकल्प: ब्रह्ममुहूर्त/सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत-संकल्प लें।

2. पूजा-स्थल की शुद्धि: घर के मंदिर/पूजा-स्थल की सफाई करें, गंगाजल का छिड़काव करें।

3. स्थापना स्थान तैयार करें: एक स्वच्छ चौकी पर लाल/पीला/हरा कपड़ा बिछाकर चावल/रोली से स्वस्तिक बनाएं।

4. मूर्ति-आगमन व आसन: शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश की मूर्ति को उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें।

5. आवाहन व पूजन: रोली, अक्षत, सिंदूर, दूर्वा, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें। मोडक/लड्डू विशेष नैवेद्य रखें।

6. मंत्र-जप:

“ॐ गं गणपतये नमः” कम से कम 11/21 बार जपें।

संभव हो तो गणेश अथर्वशीर्ष या वक्रतुंड महाकाय स्तोत्र का पाठ करें।

7. व्रत-कथा श्रवण/पाठ: परिवार सहित गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें/सुनें।

8. आरती: “जय गणेश देवा” या परंपरानुसार आरती करें।

9. प्रसाद-वितरण: प्रसाद व पंचामृत वितरित करें और अंत में सबको आशीर्वाद दें।

10. नैतिक संकल्प: पर्यावरण-अनुकूल पूजा का संकल्प लें; शांति व सद्भाव की कामना करें।

पूजन-सामग्री : 

मूर्ति (पर्यावरण-अनुकूल/मिट्टी की)

चौकी, लाल/पीला/हरा वस्त्र, कलश, नारियल, आम/पान के पत्ते

रोली, चावल (अक्षत), हल्दी-कुमकुम, सिंदूर, पंचामृत

दूर्वा (21 तंतुओं की), पुष्प-माला, धूप-दीप, घी/तेल, कपूर

नैवेद्य: मोदक/लड्डू, फल, सुपारी, पान, इलायची, लौंग

आरती थाली, घंटी, अगरबत्ती, गंगाजल, स्वस्तिक हेतु रोली/चावल

कथा-पुस्तिका/स्तोत्र संग्रह

स्थापना में ध्यान रखने योग्य बातें

क्या करें:

शुभ मुहूर्त के भीतर ही स्थापना और मुख्य विधि पूर्ण करें।

मूर्ति को स्थिर, स्वच्छ और ऊँचे आसन पर रखें; मुख पूर्व/उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रहे।

प्रसाद में मोडक अवश्य रखें—यह गणेशजी का प्रिय है।

प्रतिदिन आरती, दीपदान व मंत्र-जप करें; कम से कम सुबह-शाम।

क्या न करें:

राहुकाल (आज 12:22 PM से) में स्थापना आरंभ न करें।

मूर्ति को सीधे फर्श पर न रखें, और पूजा-स्थान पर जूते-चप्पल न जाएँ।

परित्यक्त/न-नष्ट होने वाली सजावटी सामग्री का अत्यधिक उपयोग न करें।

वचन, व्यवहार और आहार में असंयम न रखें—व्रत की शुचिता बनाए रखें।

पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव के सुझाव

मिट्टी/श्रीखंड/रेड-क्ले की इको-फ्रेंडली मूर्ति लें; रासायनिक रंगों से बचें।

सजावट में कपड़ा, कागज़, फूल-पत्तियाँ, दीये जैसे बायोडिग्रेडेबल विकल्प अपनाएँ।

विसर्जन हेतु घर में छोटे टब/टैंक में प्रतीकात्मक विसर्जन करें और उस जल का उपयोग पौधों में करें।

प्लास्टिक/थर्माकोल से परहेज करें; ध्वनि-प्रदूषण से भी बचें।

FAQs

  • Q1. यदि 11:05 AM से 1:40 PM स्थापना-मुहूर्त है, तो राहुकाल (12:22 PM) के बाद क्या करें?
    A. बेहतर है कि 11:05 AM पर पूजा आरंभ कर 12:22 PM से पहले स्थापना पूरी कर लें। राहुकाल में नई शुरुआत, विशेषकर मूर्ति-स्थापना, परंपरानुसार टालना उचित माना जाता है।
  • Q2. गणेशजी का प्रिय नैवेद्य क्या है?
    A. मोडक/लड्डू, फल, नारियल, गुड़ आदि। मोदक विशेष प्रिय माने जाते हैं।
  • Q3. मूर्ति किस दिशा में रखें?
    A. सामान्यतः उत्तरी/पूर्वी/ईशान दिशा की ओर मुख शुभ माना जाता है; पूजा-आसन ईशान कोण में हो तो उत्तम।
  • Q4. कितने दिनों तक पूजन करें?
    A. परंपरानुसार 1, 3, 5, 7, 10 दिनों तक पूजन के बाद विसर्जन किया जाता है; परिवार/समयानुसार अवधि चुनी जा सकती है।
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