वोट चोरी के आरोप पर चुनाव आयोग का पलटवार, कहा – सबूत दो वरना झूठे दावे बंद करो

वोट चोरी के आरोप पर चुनाव आयोग का पलटवार, कहा – सबूत दो वरना झूठे दावे बंद करो

नई दिल्ली। बिहार में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है। विपक्षी दलों ने वोट चोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए, जिस पर चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति की जा रही है।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ मतदाताओं ने डबल वोटिंग का आरोप लगाया था, लेकिन जब उनसे सबूत मांगे गए तो वे कुछ भी प्रस्तुत नहीं कर सके। उन्होंने साफ कहा कि ऐसे आरोपों से चुनाव आयोग डरने वाला नहीं है।

सभी दल बराबर, कोई पक्ष-विपक्ष नहीं

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कानून के अनुसार हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है। ऐसे में आयोग भेदभाव कैसे कर सकता है? आयोग के लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दो दशकों से सभी दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे थे, इसी के चलते बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई।

इस प्रक्रिया में मतदाताओं, बूथ स्तरीय अधिकारियों और सभी दलों द्वारा नियुक्त करीब 1.6 लाख बीएलए (BLA) ने मिलकर मसौदा सूची तैयार की।

भ्रम फैलाने की कोशिश

ज्ञानेश कुमार ने आरोप लगाया कि जिला स्तर पर राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके प्रतिनिधियों द्वारा सत्यापित दस्तावेज उनके शीर्ष नेताओं तक नहीं पहुंचाए जा रहे हैं, जिससे जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते त्रुटियां साझा नहीं की जातीं और बाद में वोट चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है, तो यह संविधान का अपमान है।

मतदाताओं की गोपनीयता पर सवाल

उन्होंने मीडिया पर भी सवाल उठाए कि कुछ मतदाताओं की तस्वीरें और निजी जानकारी बिना अनुमति के सार्वजनिक की गईं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा – “क्या आयोग को किसी भी मतदाता की मां, बहू या बेटी का सीसीटीवी फुटेज साझा करना चाहिए? जिनके नाम सूची में हैं, वही मतदान करते हैं और अंतिम सूची हर राजनीतिक दल को उपलब्ध कराई जाती है।”

45 दिनों का प्रावधान

ज्ञानेश कुमार ने आगे कहा कि मतदान के बाद प्रत्येक उम्मीदवार को सूची मिलती है और अगर कोई त्रुटि रहती है तो 45 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की जा सकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 45 दिन पूरे हो गए और किसी भी पार्टी को कोई गड़बड़ी नहीं मिली, तो अब इतने समय बाद बेबुनियाद आरोप लगाने का मकसद क्या है, यह जनता समझ चुकी है।

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