सागर में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर को दिए निर्देश, घरोंदा सहित अन्य आश्रमों में हुए देहदान के मामलों पर जांच बैठाई

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर को दिए निर्देश, घरोंदा सहित अन्य आश्रमों में हुए देहदान के मामलों पर जांच बैठाई

कलेक्टर को एक सप्ताह में जांच कर प्रतिवेदन देने के दिए निर्देश

सागर। सागर में स्थित घरोंदा आश्रम तिली, करूणा आश्रम खजुरिया व मदर टेरेसा आश्रम के द्वारा लगातार नियम विरूद्ध तरीके से देहदान व बिना पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार किए जाने के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को शिकायत मिली थी कि इन आश्रमों में रहने वाले नाबालिगों सहित अन्य दिव्यांगों की मृत्यु होने के बाद नियम कानूनों का पालन आश्रम के संचालकों के द्वारा नहीं किया गया और उनका नियम विरूद्ध तरीके से देहदान स्थानीय बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय सागर के एनॉटामी विभाग में कर दिया गया है। अस्सिटेंट रजिस्ट्रार लॉ ब्रजवीर सिंह ने सागर कलेक्टर को भेजे नोटिस में कलेक्टर से इन तीनों आश्रमों के द्वारा किए गए नियम विरूद्ध कृत्यों व बाल संरक्षण कानूनों सहित मानव अधिकारों के उल्लंघन के कार्य किए जाने पर जबाब तलब किया है।
कलेक्टर को भेजे नोटिस में अस्सिटेंट रजिस्ट्रार लॉ ब्रजवीर सिंह ने कहा कि घरोंदा आश्रम, करूणा आश्रम खजुरिया, मदर टेरेसा चैरिटी आश्रम के द्वारा यहां निवासरत बच्चों व बड़ों (व्यस्कों)की मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और बीएमसी को देहदान कर दिया गया। इनकी मृत्यु के संबंध में न तो चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, स्थानीय पुलिस या किसी सक्षम प्राधिकारी को नहीं बताया गया था। वहीं घरोंदा आश्रम को किशोर न्याय अधिनियम के तहत सिर्फ बालक आश्रम की मान्यता प्राप्त है लेकिन यहां पर बालिकाओ को भी रखा जाता है, यहां पर सामाजिक न्याय विभाग के द्वारा मान्यता प्राप्त आश्रम भी संचालित होता है जिसमें कथित तौर पर दिव्यांग पुरुष और महिला भी निवास करते हैं। आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि घरोंदा आश्रम द्वारा लगभग नौ अनाधिकृत देहदान जिनमें नाबालिगों और विकलांग व्यक्तियों के शवों का बीएमसी में दान कर दिया गया है।
नोटिस में कहा गया है कि एक बालिका जो पॉक्सो पीडि़ता थी उसकी कथित तौर पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उसके शरीर को कथित तौर पर पोस्टमॉर्टम के बिना अंतिम संस्कार किया गया था और उसे दिए गए मुआवजे को भी आश्रम प्रबंधन द्वारा गलत तरीके से खुर्द बुर्द किया गया था। इसके अलावा आठ लड़कियों को कथित तौर पर घरोंदा आश्रम से करुणा आश्रम में किसी भी सक्षम प्राधिकारी से प्राधिकरण के बिना स्थानांतरित कर दिया गया था और उनकी वर्तमान स्थान और स्थिति अज्ञात है। करुणा आश्रम और मदर टेरेसा चैरिटी आश्रम द्वारा भी कम से कम चार अनधिकृत शरीर के दान किए गए हैं जिसमें कानूनी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।
कलेक्टर को दिए नोटिस में बताया गया कि इन तीनों आश्रमों के द्वारा किए गए कार्य प्रथम दृष्टया गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के हैं और इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगों की अध्यक्षता में इस मामले को मानवाधिकार अधिनियम के तहत संज्ञान में लिया गया है व जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी कर निर्देशित किया है कि शिकायत मे प्राप्त आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट 7 जून तक आयोग को प्रस्तुत करें।
आयोग ने निर्देश दिए है कि जिला मजिस्ट्रेट निम्नलिखित प्रश्नों की विशेष रूप से जांच करेंगे और उनका जवाब देंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जुवेनाइल जस्टिस बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 और अधिकारों वाले व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन किया जा रहा है कि नहीं।
जुवेनाइल जस्टिस बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत जिन बिंदुओं पर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं उनमें प्रमुख रूप से यह बिंदु है। कि क्या घरोदा आश्रम किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 53(1)(द्बद्ब) के तहत आवश्यकतानुसार पुरुष और महिला तथा बच्चों के लिए अलग-अलग बच्चों के घरों का रखरखाव कर रहा था। क्या आश्रमों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा था और अनुभवी कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था जैसा कि धारा 53(2) के तहत निर्धारित मानकों और नियमों के अनुसार आवश्यक है। क्या इन बाल देखभाल संस्थानों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे निर्धारित मानकों और नियमों का पालन कर रहे हैं। आश्रम में किसी भी बच्चे की मृत्यु, जिसका कारण भी शामिल हैं, जिला प्रशासकों को सूचित किया गया है। इन सभी बिंदुओं पर जिला मजिस्ट्रेट से जांच कर 7 जून तक रिपोर्ट देने के निर्देश राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने दिए हैं।

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