मकरोनिया रेलवे स्टेशन पर नाबालिग की हत्या, आरोपी करन सिंह को उम्रकैद की सजा
सागर। मकरोनिया रेलवे स्टेशन पर 17 वर्षीय नाबालिग की चाकू से गोदकर हत्या करने वाले आरोपी करन सिंह राजपूत को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश प्रशांत सक्सेना की अदालत में सुनाया गया।
कोर्ट ने करन सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन सश्रम कारावास और ₹2,000 के अर्थदंड से दंडित किया है। इसके अलावा, आर्म्स एक्ट के तहत भी 2 साल के सश्रम कारावास और ₹1,000 के जुर्माने की सजा दी गई है।
विशेष लोक अभियोजक दीपक जैन ने शासन की ओर से मामले की पैरवी की।
यह था पूरा मामला
जिला अभियोजन मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा के अनुसार, 10 अप्रैल 2024 को राजेंद्र पाठक, निवासी बाहुबली कॉलोनी, ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, उनका 17 वर्षीय बेटा हर्षवर्धन, जो 10वीं कक्षा का छात्र था, 9 अप्रैल को मैहर माता के दर्शन के लिए गया था। दर्शन के बाद वह पथरिया में अपने नाना के घर रुका और फिर शाम को ट्रेन से सागर लौट रहा था।
शाम करीब 5:27 बजे राजेंद्र पाठक के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से बेटे हर्षवर्धन का कॉल आया। उसने बताया कि ट्रेन गिरवर स्टेशन पर खड़ी है और सीट को लेकर उसका झगड़ा एक युवक से हो गया है, जो खुद को करन सिंह, निवासी गायत्री नगर, कटनी बता रहा है। हर्षवर्धन ने फोन पर बताया कि युवक उसे धमका रहा है, इसीलिए वह मकरोनिया स्टेशन पर उतर जाएगा और पिता से वहीं आने को कहा।
स्टेशन पर उतरा और हमला कर दिया
राजेंद्र पाठक तुरंत बाइक से मकरोनिया स्टेशन पहुंचे, जहां भीड़ जुटी हुई थी। उन्होंने देखा कि हर्षवर्धन लहूलुहान हालत में जमीन पर पड़ा था। उसके पेट में कई जगह घाव थे और खून बह रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन से उतरते ही करन सिंह ने जेब से बटनदार चाकू निकाला और हर्षवर्धन पर ताबड़तोड़ वार कर दिए, जिससे वह वहीं गिर पड़ा।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। कुछ ही समय बाद आरोपी करन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से वारदात में उपयोग किया गया चाकू भी जब्त किया गया।
कोर्ट ने सुनाई सजा
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाह अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए। इन्हीं आधारों पर कोर्ट ने आरोपी करन सिंह राजपूत को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।