दादा रूप में विराजमान श्री हनुमान जी महाराज, सागर में हनुमान प्रकटोत्सव मनाए जाने की परम्परा यहीं से शुरू हुई

दादा रूप में विराजमान श्री हनुमान जी महाराज, सागर में हनुमान प्रकटोत्सव मनाए जाने की परम्परा यहीं से शुरू हुई

सागर। श्री देव दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर जय दादा दरबार सागर शहर के मध्य में स्थित श्री हनुमान जी महाराज का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है। यहाँ हनुमान जी दादा स्वरूप में प्रतिष्ठित हैं। दादा शब्द की व्याख्या एक श्रेष्ठ, ज्येष्ठ के रूप में संस्कृति एवं परम्परा में मानी जाती है। दादा परिवार के बुजुर्ग, तो कहीं बड़े भाई, तो कहीं आस्था के प्रतीक के तौर पर सच्चे मित्र माने जाते हैं। इसी स्वरूप को साकार करते  श्री हनुमान जी दक्षिण मुखी स्वयं प्रकट देव के तौर पर जय दादा दरबार में प्रतिष्ठित हैं। यहाँ बजरंगबली का विग्रह अभय मुद्राधारी है जो भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा कहलाती है।

पं. महेश पाण्डेय ने बताया कि ऐसे विग्रहों का निर्माण पत्रिका कल्याण के श्री हनुमान अंक के आधार पर 9 से 10वीं शताब्दी का माना जाता है। फिर भी यह तय है कि 300 वर्ष से ज्यादा प्राचीन है दादा की विग्रह मूर्ति। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और उस दिशा को मुख कर विराजे बजरंग बली की पूजा से मनुष्य डर, चिंता और कष्टों से मुक्ति प्राप्त करता है। दक्षिण मुखी हनुमान बुरी शक्तियों के प्रकोप और अला बलाओं से रक्षा करने वाले माने जाते हैं और दादा दरबार मंदिर के भक्तों को भी ये कवच हनुमान जी की साक्षात् उपस्थिति से प्राप्त होता है।

सागर में यह मान्यता है कि जिस किसी व्यक्ति को गृह बाधा, दुःख, ऊपरी बाधाएँ, आर्थिक परेशानी हो तो वह व्यक्ति मंगलवार, शनिवार दादा दरबार में हाजिरी लगाए तो समस्त बाधाएँ तकलीफें दूर होती हैं और शांति मिलती है। इसका प्रमाण है कि दादा दरबार में हाजिरी लगाने देश के कोने-कोने से व्यक्ति सागर आते हैं। पी.टी.सी. ग्राउण्ड के एक कोने में स्थित मंदिर में सन् 1992 तक एक छोटी सी मढ़िया हुआ करती थी।

पं. जय गोपाल तिवारी और पं. महेश प्रसाद पाण्डेय के संयोजन में मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य जब प्रारंभ हुआ तो शहर के लोगों ने मुक्त हस्त से दान और सेवा मंदिर हेतु करी। 1994 में इसका विकसित स्वरूप सामने आया और तब से लगातार मंदिर का विस्तार कार्य चल रहा है। दरबार में सवा लाख बेलपत्र अर्पण, दो लाख से ज्यादा श्री किष्किंधा काण्ड पाठ, दो लाख इक्यावन हजार रामरक्षास्तोत्र पाठ, सवा लाख श्री सुंदरकाण्ड पाठ जैसे आयोजनों के साथ अखण्ड रामचरितमानस पाठ, श्रीमद्भागवत महापुराण आदि अनेक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन हुए हैं।

सन् 2006 में मंदिर में श्रीराम दरबार, माता सरस्वती एवं श्री बटुक भैरव देव की स्थापना की गई। इस दरबार में एक कोने में एक पंचवृक्ष चबूतरा है जहाँ एक साथ पाँच वृक्ष लगे हुए हैं जो एक दुर्लभ पायी जाने वाली स्थिति है। वर्तमान में दादा दरबार में सवा करोड श्री हनुमान चालीसा पाठ का विशेष अनुष्ठान चल रहा है, जिसमें भक्तों द्वारा अभी तक लगभग 42 लाख चालीसा पाठ श्री दादा की सेवा में सुनाकर गणना रजिस्टर में दर्ज किए जा चुके हैं। दरबार में पितरों की शांति हेतु पितृ मोक्ष अमावस्या पर प्रतिवर्ष विशेष दीपदान का आयोजन किया जाता है। 2023 में पितरों की स्मृति में 1387 दीप प्रज्जवलित किये गये। प्रति शनिवार पीपल वृक्ष के नीचे 108 दीप भक्तों द्वारा प्रज्जवलित किए जाते हैं। प्रतिदिन सायंकाल आरती पश्चात् 20 मिनिट कीर्तन सेवा मंडल सदस्य करते हैं। यह क्रम अनवरत 30 वर्षों से चल रहा है।

1994 से मंगलवार, शनिवार दादा दरबार में हाजिरी का सौभाग्य प्राप्त दादा दरबार मानस मंडल के पं. नितिन कोरपाल ने बताया कि दादा के चमत्कारों का उन्हें साक्षात् अनुभव है। अब तक लाखों लोगों की मनोकामनाओं को श्री दादा ने पूर्ण किया है। मंदिर के गर्भगृह के पीछे लगे 300 वर्ष से भी प्राचीन वट वृक्ष पर मनोकामना पूर्ण होने पर हजारों की संख्या में घंटे भक्तों द्वारा चढ़ाए गये हैं। आषाढ़ मास के मंगलवार पर यहाँ प्रतिवर्ष हजारों लोग ध्वजा चोला आदि चढ़ाते हैं तथा इच्छित वर की कामना करते हैं। अनेक लोग प्रतियोगी परीक्षाओं में, तो व्यापार आदि में दादा के आशीर्वाद से ही सफलता प्राप्त किए हैं।

पं. नितिन कोरपाल ने बताया कि सन् 2000 से प्रतिदिन दरबार में दर्शनों का सौभाग्य उन्हें मिला है। ये सब दादा की कृपा से ही संभव है कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उनकी हाजिरी नित्य लग जाती है। दरबार में सागर में अब तक पधारे तमाम बड़े संत महंतों ने हाजिरी लगाकर श्री दादा की आरती सेवा करी है। दादा के नाम पर मानस मंडल श्री हनुमान प्रकटोत्सव पर छह वर्षों से पाँच सौ किलो से ज्यादा खीर प्रसादी के रूप में वितरण कर रहा है। 22 जनवरी 2024 को श्री रामलला विराजमान के शुभ अवसर पर भक्तवृंदों द्वारा दोपहर से श्रीअरण्य, किष्किंधा एवं सुंदरकाण्ड का संगीतमय पाठ,  श्री रामधुन संकीर्तन, 14000 से ज्यादा दीप प्रज्जवलित करते हुए 56 भोग श्री रामलला की सेवा में अर्पित किये।

29-31 जनवरी 2025 को दरबार में भोलेनाथ की श्री गणेश जी, श्री कार्तिकेय जी, माता पार्वती एवं नंदी सहित देव धनेश्वर महादेव के रूप में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। वर्तमान में दादा दरबार में यातायात व्यवस्थित रखने के उद्देश्य से पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है।

श्री दादा दरबार के नाम पर एक विशेष उपलब्धि है। वह है सागर में श्री हनुमान प्रकटोत्सव धूमधाम से उत्सवपूर्वक मनाए जाने की परम्परा शुरू करना। लगभग 1994 से सागर में श्री हनुमान प्रकटोत्सव वृहद स्तर पर एक उत्सव के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने की परम्परा श्री जय दादा दरबार से ही प्रारंभ हुई थी। दादा दरबार के आयोजन के बाद ही नगर के हनुमान मंदिरों में प्रकटोत्सव पर विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाना प्रारंभ हुआ।

अनंत बलवंत श्री हनुमंत लालजी के प्रकटोत्सव पर प्रातः 5ः00 बजे स्नान, अभिषेक एवं चोला अर्पण, 6ः15 से मित्र मानस मण्डल द्वारा संगीतमय श्री सुंदरकांड पाठ, 7ः45 पर आरती, 8ः30 पर 56 भोग अर्पण, 9ः15 पर बधाई बजेगी, दिन भर श्री हनुमान चालीसा महापाठ, 10ः00 से हवन, 11ः30 से प्रभु इच्छा तक खीर प्रसादी वितरण होगा। सायं 5ः15 बजे से दादा दरबार मानस मण्डल द्वारा संगीतमय श्री सुंदरकांड पाठ एवं रामधुन, रात्रि 8ः00 बजे से राधे-राधे संकीर्तन मण्डल की भजन संध्या का आयोजन तथा रात्रि 11ः45 पर शयन आरती होगी। वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी की भूमि पर स्थित इस मंदिर के संचालन की व्यवस्था पुलिस अकादमी द्वारा पुजारियों के माध्यम से की जा रही है।

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