चैत्र नवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कलश स्थापना का संपूर्ण मार्गदर्शन

चैत्र नवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कलश स्थापना का संपूर्ण मार्गदर्शन

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। चैत्र और आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि कहलाती हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्र के दौरान शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योत और कलश स्थापना करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति पर अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 घंटे 8 मिनट का समय मिलेगा।

इसके अलावा, घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्तों को कुल 50 मिनट का समय मिलेगा। भक्त अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं।

नवरात्रि की पूजा सामग्री

नवरात्रि की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

रूई/बत्ती, धूप, घी और दीपक

फूल, दूर्वा, पंच पल्लव

5 तरह के फल, पान का पत्ता, लौंग, इलायची

अक्षत, सुपारी, नारियल, पंचमेवा, जायफल, जौ, कलावा

माता की लाल चुनरी, माता के लाल वस्त्र

माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति

माता के शृंगार का सामान

लाल रंग का आसन और मिट्टी का बर्तन

कलश स्थापना विधि

1. घर की सफाई करें और स्नान कर लें।

2. सुख-समृद्धि के लिए मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाएं और आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं।

3. एक लकड़ी की चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

4. मूर्ति के बाईं ओर गणेश जी की मूर्ति रखें।

5. एक मिट्टी के बर्तन में जौ उगाएं।

6. एक लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ा सा अक्षत डालें।

7. लोटे के ऊपर आम के पत्ते लगाकर जटा वाला नारियल रखें।

8. मंत्रों के उच्चारण के साथ माता रानी को पूजा सामग्री अर्पित करें।

9. माता के श्रृंगार का सामान जरूर चढ़ाएं।

10. घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और लोकश्रुतियों पर आधारित है। इसकी सत्यता की पुष्टि हमारी वेबसाइट द्वारा नहीं की जाती। पाठक इसे अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार ग्रहण करें।

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