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चिकित्सक महासंघ ने सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ की ऐतिहासिक पल्स जीबीएम (जनरल बॉडी मीटिंग)

चिकित्सक महासंघ ने सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ की ऐतिहासिक पल्स जीबीएम (जनरल बॉडी मीटिंग) आज चिकित्सक महासंघ मध्य प्रदेश के बैनर ...

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| खबर का असर

चिकित्सक महासंघ ने सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ की ऐतिहासिक पल्स जीबीएम (जनरल बॉडी मीटिंग)

आज चिकित्सक महासंघ मध्य प्रदेश के बैनर तले प्रदेश के सभीं 52 ज़िला अस्पताल,कम्यूनिटी अस्पताल,सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफ़िसर्स,18 चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सा शिक्षक एवं मेडीकल ऑफ़िसर,ईएसआई के सभी अस्पताल के मेडिकल ऑफ़िसर्स,मेडिको लीगल संस्थान के मेडिकल ऑफ़िसर्स,संविदा चिकित्सक ,जूनियर डॉक्टर्स ने संपूर्ण मध्य प्रदेश में *इतिहास में पहली बार पल्स पोलियो की तरह पल्स जीबीएम (pulse GBM)आयोजित कि गईं

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|सभी जगह एक सुर में माननीय उच्च न्यायालय से आदेशित उच्च स्तरीय समिति का गठन ,कैबिनेट से पारित DACP,एनपीए का सही क्रियान्वयन ,सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 जनवरी 2016 से देना,माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स के सुरक्षा निर्देशों का क्रियान्वयन एवं चिकित्सा क्षेत्र में प्रशासनिक दख़लंदाज़ी विषय में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की गई।
सभीं जगह संस्था प्रमुख को ज्ञापन दिया गया,जिसमे आगामी 20 फ़रवरी से होने वाले प्रदेश्व्यापी आंदोलन कि चेतावनी दी गई है जिसकी रूपरेखा निम्नानुसार है
1. दिनांक 20 -21फरवरी,
प्रदेश के समस्त चिकित्सक कार्यस्थल (समस्त जिला अस्पताल, ईएसआई अस्पताल, मेडिकल कॉलेज) पर काली पट्टी लगाकर काम करेंगे
2.दिनांक 22 फरवरी, शनिवार –
प्रदेश के समस्त एवं मास्क पहनकर भोजन अवकाश में दोपहर आधा घंटे 1:00 से 1.30 तक अपने कार्यस्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे ।

3.दिनांक 24 फरवरी, सोमवार
प्रदेश के समस्त चिकित्सक सामूहिक उपवास एवं चिन्हित अस्पतालों में जनता के स्वास्थ से खिलवाड़ के विरोध में अमानक दवाइयों की सांकेतिक होली जलाई जाएगी।

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4.दिनांक 25 फरवरी, मंगलवार –
प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा।
विदित हो कि प्रदेश के समस्त चिकित्सक संगठन पिछले कई वर्षों से स्वास्थ व्यवस्था में सुधार की बात करते रहे हैं, परंतु प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता एवं अतार्किक नीति निर्धारण, मंत्रिमंडल के निर्णयों का एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन ना करने के कारण प्रदेश स्वास्थ क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सक आंदोलन के लिए बाध्य हो रहे हैं

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