श्री पुंडरीक जी महाराज का राजपूत परिवार ने किया स्वागत
सागर। कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निवास मातेश्वरी पर श्रीमान माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी का शुभ आगमन पर सुरखी विधानसभा क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं ने राधा रानी और वृंदावन बिहारीलाल जी सरकार के जयकारे लगाकर महाराज जी का स्वागत किया। इस अवसर पर समस्त राजपूत परिवार ने महाराज जी की आरती उतार कर एवं पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सविता सिंह राजपूत, मूरत सिंह राजपूत, अरविंद सिंह राजपूत (टिंकू राजा) आकाश सिंह राजपूत के साथ समस्त राजपूत परिवार उपस्थित रहा।
श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जिन्हें श्री मन्माधव गौड़ेश्वर वैष्णव आचार्य भी कहा जाता है, एक परंपरागत वैष्णव परिवार से हैं। उनका जन्म 20 जुलाई 1988 को वृन्दावन, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनके पिता श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी और माता सुकृति गोस्वामी थीं। उनकी पत्नी का नाम रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी है।
उनके दादाजी, संत श्री अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज, उनके गुरु भी थे। यह परिवार वैष्णव संत और वक्ता के रूप में प्रसिद्ध है, जिन्होंने वैदिक ज्ञान की गहराई को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी के परिवार से हैं, जो वृंदावन के प्रसिद्ध छः गोस्वामियों में से एक थे। उन्होंने 1542 में वृंदावन में राधा रमण मंदिर की स्थापना की थी। यह परिवार श्री गौड़ीय परंपरा के 38वें आचार्य हैं।
पुण्डरीक गोस्वामी जी ने मात्र सात वर्ष की आयु से ही भगवद्गीता पर प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा का विस्तृत विवरण उपलब्ध स्रोतों में नहीं मिला, परन्तु इतनी कम उम्र में गीता पर प्रवचन देने से स्पष्ट है कि उन्हें बचपन से ही वैदिक ज्ञान और धार्मिक शिक्षा का गहन अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ था।
पुण्डरीक गोस्वामी जी श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी के वंशज हैं, जो वृंदावन के प्रसिद्ध छह गोस्वामियों में से एक थे और स्वयं श्री चैतन्य महाप्रभु से प्रेरित एवं दीक्षित थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्हें अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि से गौड़ीय वैष्णव सिद्धांतों और भक्ति के मार्ग की शिक्षा प्राप्त हुई होगी।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी की कथाएँ अत्यंत प्रेरणादायक और मनमोहक होती हैं। उनकी कथाओं में भक्ति और आध्यात्मिकता का सुंदर समन्वय होता है। वे श्रीमद्भागवतम्, श्रीमद्भगवद्गीता, श्री चैतन्य चरितामृत और श्री रामकथा जैसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथों की कथाएँ सुनाते हैं।
गोस्वामी जी अपनी कथाओं के माध्यम से श्रोताओं को श्री कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। उनकी वाणी में एक अद्भुत आकर्षण होता है जो श्रोताओं के हृदय को छू लेता है। वे अपनी कथाओं में उपमाओं, दृष्टांतों और प्रसंगों का बखूबी प्रयोग करते हैं जिससे विषय को समझना आसान हो जाता है। गोस्वामी जी की कथाएँ सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त होती हैं। वे विशेष रूप से युवाओं को कृष्ण चेतना की ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। उनका मानना है कि आज के भौतिकतावादी युग में आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों का संचार करना बहुत आवश्यक है।
गोस्वामी जी की कथाओं में एक विशेष ऊर्जा होती है। वे अपने श्रोताओं को भक्ति के रंग में सराबोर कर देते हैं। उनकी मधुर वाणी और गहन अध्यात्म ज्ञान लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। उनकी कथाओं से प्रेरणा पाकर अनेक लोगों ने अपना जीवन कृष्ण भक्ति को समर्पित कर दिया है।
श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी की कथाएँ भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का पावन संगम हैं। वे अपनी अमृतमयी वाणी से जन-जन को कृष्ण प्रेम की ओर अग्रसर करते हैं।
*3 फरवरी से 9 फरवरी तक संगीत में श्रीमद् चैतन्य भागवत कथा का आयोजन*
राजघाट पर श्रीपाद नित्यानंद जयंती महोत्सव के अवसर पर संगीत में श्रीमद् चेतन भागवत कथा एवं नव कुंडली हरि नाम जय यज्ञ का आयोजन दिनांक 3 फरवरी से 9 फरवरी तक आयोजन किया गया है।