श्रीलंका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में सागर विवि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को अवार्ड से सम्मानित किया गया
सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को नदियों पर किए गए उनके शोध एवं अध्ययन एवं इस क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए श्रीलंका के साउथ एशियन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा प्रो. एस. आर. बसु मेमोरियल लाइफटाइम अवार्ड से सम्मानित किया गया. यह सम्मान केलानिया विश्वविद्यालय श्रीलंका में डा. सत्यांजल पांडे, डिप्टी हाई कमीशनर, हाई कमीशन ऑफ इंडिया इन श्री लंका प्रो. प्रशांथी नारनगोडा, डायरेक्टर तथा अध्यक्ष, कांउसिल ऑफ मेनेजमेंट एनसीएएस शिक्षा मंत्रालय, श्रीलंका कुलपति प्रो. नीलांथी रेनुका डि सिलवा तथा डा. बिस्वजीत राय चैधरी, अध्यक्ष साउथ एशियन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा प्रदान किया गया. इस अवसर पर दक्षिण एशियाई देशों के विभिन्न प्रतिनिधि, केलानिया विश्वविद्यालय के विभिन्न केंद्रों के निदेशक, संकाय सदस्य, शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे। ज्ञातव्य हो कि प्रो. नीलिमा गुप्ता एक विश्व विख्यात वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने चार दशक से अधिक समय तक गंगा नदी के प्रदूषण पर शोध करके प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, डब्लूडब्लूएफ, एनजीटी को अपने बहुमूल्य शोध परिणामों को उपलब्ध करवाया और भारत सरकार यूजीसी, आईएनएसए, डीएसटी, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा राज्य सरकार (उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा स्वीकृत कई परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित कीं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस भी स्वीकृत हुआ जिससे उन्होंने जल प्रदूषण तथा मत्स्य स्वास्थ्य पर उच्च कोटि की प्रयोगशाला स्थापित की। मछली में पाए जाने वाले परजीवियों पर शोध करके 51 नई स्पीसीज (प्रजातियों) की खोज के लिए पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्गीकरण के सर्वोच्च सम्मान ईके जानकी अम्मल राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया.
80 से अधिक सम्मानों से विभूषित, मध्य प्रदेश की पहली महिला मानद कर्नल कमांडेंट, बी डब्ल्यू एजुकेशन द्वारा भारत की शीर्ष 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल, सरस्वती सम्मान, विज्ञान रत्न आदि अनेक सम्मानों से विभूषित प्रो. नीलिमा गुप्ता उच्च कोटि की वैज्ञानिक हैं। एक ओर जहाँ उन्होंने उत्कृष्ट शोध कार्य किया है, वहीं दूसरी ओर, समाज से जुड़कर किसानों को लाभान्वित भी किया। उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में सम्मिलित हैं तथा रिर्सच गेट द्वारा ‘लिनेनियन टैक्सोनोमी पर सबसे अधिक पढ़े गए (1,123) शोध आइटम’ संदर्भित किए गए हैं