प्रकृति ही ईश्वर का स्वरूप है इसमें पूरी आस्था,श्रद्धा और विश्वास का महोत्सव ही गोवर्धन पूजन हैं- संत केशव गिरी महाराज

प्रकृति ही ईश्वर का स्वरूप है इसमें पूरी आस्था,श्रद्धा और विश्वास का महोत्सव ही गोवर्धन पूजन हैं- संत केशव गिरी महाराज

सागर। उप नगरीय क्षेत्र मकरोनिया स्थित श्री राम दरबार मंदिर प्रांगण में हुआ 156 भोग लगाकर गोवर्धन भगवान का 16 प्रकार की विधियों से पूजन श्री राम दरबार मंदिर के महंत केशव गिरी महाराज ने बताया कि यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है महाराज जी ने बताया कि द्वापर के अंत में भगवान श्री कृष्ण का जब जन्म हुआ तब इंद्रदेव स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझकर अहंकारवश एक मात्र स्वयं को पूजनीय घोषित किया,की में ही श्रेष्ठ हूं,तब सर्वोच्च और सर्वोत्तम परमात्मा योगेश्वर श्रीकृष्ण के रूप में आकर प्रकृति रूपी गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा पर धारण कर उस अहंकार का अंत किया और ग्वाल वालों को उपस्थित जनमानस को गौ माता सहित सभी की रक्षा की और यह संदेश दिया कि प्रकृति वा गौ ही इस सकल लोक की जननी और पालक है,प्रकृति ही ईश्वर का स्वरूप है इसमें पूरी आस्था,श्रद्धा और विश्वास का महोत्सव ही गोवर्धन पूजन है हमें गाय और प्रकृति इसके संरक्षण और संवर्धन के प्रति आस्था रखते हुए ही काम करना चाहिए। क्यूंकि गाय की रक्षा करना प्रकृति को संरक्षण करना हमारा धर्म है आज इसी सन्दर्भ में मंदिर में आज गोवर्धन 18 फिट से बड़े बनाए गए एक ट्राली से अधिक गोबर को एकत्रित किया गया, गोबर की व्यवस्था पं राजा रिछारिया जी द्वारा की गई, अभिषेक गौर,इंजीनियर महेंद्र गोस्वामी,आनंद सोलंकी जी के द्वारा गोवर्धन को मूल स्वरूप प्रदान किया गया। स्थानीय कॉलोनी वासियों के द्वारा 156 प्रकार का भोग लगाया गया इसमें से 56 प्रकार का भोग रूपा पटेल, निमाई परिवार के द्वारा लगाया गया, उपस्थित समस्त भक्तों ने गोवर्धन भगवान की संकीर्तन के साथ 9 परिक्रमा संपन्न की सभी को प्रसाद वितरण किया गया इस पावन पुनीत शुभ अवसर पर मुख्य रूप से उत्तम सिंह ठाकुर कैप्टन दुबे, नीरज गोस्वामी, बाबूलाल रोहित,कृपा शंकर विश्वकर्मा अभिषेक गौर राजा रिक्षारिया आनंद सोलंकी महेन्द्र गोस्वामी व गायत्री प्रज्ञा मंडल के सदस्य उपस्थित रहे।

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