प्रदेश में पैथोलॉजी लैब के लिए नए नियम, 15 दिन में सभी निजी पैथालॉजिस्ट से मांगी गई रिपोर्ट

प्रदेश में पैथोलॉजी लैब के लिए नए नियम, 15 दिन में सभी निजी पैथालॉजिस्ट से मांगी गई रिपोर्ट

प्रदेश में पैथोलॉजी सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी पैथालॉजिस्ट के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब केवल योग्य और पंजीकृत पैथालॉजिस्ट ही पैथोलॉजी लैब का संचालन कर सकेंगे। इसके साथ ही, टेक्नीशियन को लैब संचालित करने की अनुमति नहीं होगी और दूसरे शहरों से विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट द्वारा लैब संचालन पर भी रोक लगाई गई है। नए नियमों के तहत, एमबीबीएस डॉक्टर भी अपनी निजी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे।

नियमों का उल्लंघन किया तो होगी कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर किसी भी लैब ने इन नियमों का उल्लंघन किया, तो उसे बंद कर दिया जाएगा या भारी जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम आम लोगों को गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय पैथोलॉजी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ने सभी निजी पैथालॉजिस्ट को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी प्रयोगशाला या जिस स्थान पर विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट के रूप में सेवाएं दे रहे हैं, उसकी लिखित जानकारी और उपस्थिति समय संबंधित सूचना अगले 15 दिनों में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को दें।

अवैध संचालन पर कड़ी नजर

प्रदेश में पिछले कुछ समय से पैथोलॉजी लैब और कलेक्शन सेंटर अवैध रूप से तकनीशियनों द्वारा संचालित किए जा रहे थे, जिससे लोगों को जांच में सही परिणाम नहीं मिल पा रहे थे। हर गली-चौराहे पर लैब खुलने की हजारों शिकायतें भी सामने आईं थीं। भोपाल के होशंगाबाद रोड पर स्थित एक निजी लैब पर कार्रवाई करते हुए उसे बंद कर दिया गया और 30 दिनों में जवाब मांगा गया था। इसके बाद लैब का रजिस्ट्रेशन नए व्यक्ति के नाम से कराया गया।

हर लैब में पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट की अनिवार्य उपस्थिति

विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट, जो केवल हस्ताक्षर के लिए या कुछ समय के लिए दूसरे शहरों से आते थे, अब उनकी सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। अब सभी पैथोलॉजी लैब में केवल वहीं उपस्थित पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट ही संचालन करेंगे। यह निर्णय हाई कोर्ट जबलपुर के एक आदेश के आधार पर लिया गया है। आदेश के तहत यह सुनिश्चित करना है कि सभी पैथोलॉजी लैब मप्र आयुर्वेद परिषद अधिनियम, 1987 की आवश्यकताओं का पालन करें।

शपथ-पत्र भी अनिवार्य

भोपाल में अधिकांश निजी लैब्स का रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि सभी लैब संचालकों से शपथ-पत्र मांगा गया है कि वे दो से अधिक लैब्स का संचालन नहीं कर रहे हैं। बड़े ग्रुप की लैब्स को लोकल पैथोलॉजिस्ट नियुक्त कर उनके नाम से रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा।

इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य आम जनता को बेहतर और अधिक विश्वसनीय पैथोलॉजी सेवाएं उपलब्ध कराना है।

 

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