मध्यप्रदेश में पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर खुलेंगे स्कूल, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे आयोजित
भोपाल: मध्यप्रदेश में इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक नया अध्याय लिखा जाएगा। पहली बार, जन्माष्टमी के अवसर पर स्कूलों में अवकाश न देकर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश जारी किया गया है। यह आदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा और मित्रता के प्रसंगों पर आधारित कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही गई है।
यह फैसला चौंकाने वाला है क्योंकि इससे पहले राज्य सरकार ने जन्माष्टमी के दिन अवकाश घोषित किया था। शासकीय शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि “आमतौर पर जन्माष्टमी पर छुट्टी होती है, लेकिन इस बार दो अलग-अलग आदेश सामने आए हैं। एक में सरकारी अवकाश की घोषणा की गई है, जबकि दूसरे में स्कूल शिक्षा विभाग ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का निर्देश दिया है।”
भोपाल में इस मौके पर धार्मिक झांकियों और चल समारोहों का भी आयोजन किया जाएगा। सुबह 11 बजे बरखेड़ी से चल समारोह शुरू होगा, जो शहर के विभिन्न प्रमुख स्थानों से होकर शाम 5 बजे जहांगीराबाद में समाप्त होगा। इस समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी शामिल होने की संभावना है।
भोपाल जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार ने बताया कि “सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों को आदेश के पालन की सूचना दी जा चुकी है। स्कूलों में नाट्य प्रस्तुतियां और भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित कार्यक्रम किए जाएंगे।” स्कूलों के प्रिंसिपल्स भी इस आदेश के पालन के लिए पूरी तरह तैयार हैं। एक्सीलेंस स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर और हमीदिया गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल विमला शाह ने बताया कि उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए संपर्क किया है।
उज्जैन में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। सावन के महीने में सोमवार को महाकाल की सवारी होने के कारण पहले अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन अब नए सरकारी आदेश के बाद स्कूलों को सोमवार को खुला रखने का निर्णय लिया गया है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि “सोमवार को स्कूल सुबह कुछ समय के लिए खोलकर धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन करने के बाद छुट्टी कर दी जाएगी।”
इस नए आदेश के कारण मध्यप्रदेश में इस वर्ष की जन्माष्टमी विशेष रूप से यादगार बन सकती है, जहां छात्र न केवल भगवान श्रीकृष्ण की जीवन गाथा से प्रेरणा लेंगे, बल्कि उनके संदेशों को भी आत्मसात करने का अवसर प्राप्त करेंगे।