हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: संविदा कर्मचारियों की सेवा अवधि समाप्ति पर कोई सुरक्षा नहीं
डॉक्टरों की सुरक्षा पर राज्य सरकार से जवाब मांगा
जबलपुर: डाटा एंट्री ऑपरेटर की संविदा नियुक्ति को लेकर उच्च न्यायालय के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने अपने एक हालिया आदेश में यह स्पष्ट किया कि संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की अवधि समाप्त होने पर उनकी सेवाओं की समाप्ति स्वाभाविक न्याय का हिस्सा है। अदालत ने कहा कि संविदा कर्मचारी अपनी सेवा समाप्ति के लिए किसी तरह की सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें पहले से ही नियुक्ति के समय इसकी जानकारी होती है कि उनकी सेवाएं केवल एक निर्धारित समयावधि के लिए हैं।
मामला 2011 का है, जब राज्य सरकार ने डाटा एंट्री के 50 पदों पर दो साल की संविदा नियुक्ति प्रदान की थी। 2013 में इन सभी कर्मचारियों की संविदा अवधि को दो साल और बढ़ा दिया गया था। हालाँकि, 2016 में केवल 21 कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था, जबकि 2018 में योजना एवं सांख्यिकी विभाग ने सभी संविदा नियुक्तियों को समाप्त करने का निर्णय लिया। इस फैसले के खिलाफ संबंधित कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसके जवाब में न्यायालय ने उपरोक्त आदेश जारी किया।
डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल: इसी सुनवाई के दौरान, अदालत ने राज्य सरकार से मप्र में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब माँगा है। उच्च न्यायालय ने सरकार से दो हफ्ते के भीतर जानकारी मांगी है कि क्या राज्य में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं। मध्य प्रदेश डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से दस मांगों की एक सूची पेश की गई, जिसे अदालत ने गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला हाल ही में कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जिसके विरोध में देशभर में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं।