श्री गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पहुंचेंगे जनसेवक मनी गुरोंन, लंगर के लिए दान राशि करेंगे भेंट

श्री गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पहुंचेंगे जनसेवक मनी गुरोंन, लंगर के लिए दान राशि करेंगे भेंट

सागर। सतनाम वेलफेयर सोसाइटी अध्यक्ष जनसेवक मनी सिंह गुरोंन अपने जन्मदिन पर गुरुद्वारा साहिब में लंगर सेवा के लिए 1 लाख 51 हजार रुपये की राशि दान देने वाले थे लेकिन व्यक्तिगत कारणों के चलते वह अपने जन्मदिन पर गुरुद्वारा साहिब नहीं पहुंच पाए अब मनी सिंह बुधवार को गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला के लिए रवाना होंगे, वह बीना से ट्रेन से रवाना होंगे उनकी यात्रा की संपूर्ण जानकारी स्टेशन मास्टर को भेज दी गई है,बता दे की जनसेवक गुरोंन लंबे समय से जरूरतमंदों,गरीबों की मदद,गरीब कन्याओं का विवाह सहित अनेक जन सेवा के कार्यों को करते आ रहे हैं,और यह दूसरों की तकलीफ को अपनी तकलीफ समझते हैं इनका मानना है कि अगर आप में दया है तो आप सच्चे इंसान हैं नहीं तो अपना पेट तो पशु भी भर लेते हैं, इससे पहले भी जनसेवक मनी सिंग कोरोना काल में लंगर सहित जरूरतमंदों को दवा,भोजन पानी, फल फ्रूट,मास्क सहित अन्य जरूरी चीजे उपलब्ध करा चुके हैं,कोरोना काल में पंजाब प्रांत के फतेहगड़ साहिब में दो लाख 51 हजार की सहयोग राशि भेंट की थी,लोगों ने उनके सेवा भाव की जमकर तारीफ भी की थी,तो वही शहर के कुछ प्रसिद्ध स्थानौ का जीर्णोधार भी मनी सिंह के द्वारा कराया जा चुका है,मनी सिंह ने अपने जन्मदिन पर यह संकल्प लिया था की गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर लंगर सेवा के लिए राशि दान करेंगे गुरुद्वारा प्रशासन की ओर से मनी सिंग को वीआईपी सुरक्षा और व्यवस्थाओं की पेशकश भी की गई थी लेकिन मनी सिंग द्वारा सामान्य रूप से गुरुद्वारा में माथा टेकने की बात कही गई है,इसी संकल्प की पूर्ति के लिए मनी सिंग बुधवार को गुरुद्वारा साहिब के लिए निकलेंगे,आपको बता दें कि गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पंजाब की पटियाला में है,और इस गुरुद्वारे में देशभर से लोग पहुंचते हैं बसंत पंचमी पर इस स्थान पर लोगों का हुजूम उमड़ता है क्योंकि ऐसा माना जाता है की गुरु तेग बहादुर जी भी बसंत पंचमी पर इस स्थान पर पहुंचे थे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक भक्त के निवेदन पर गुरु तेग बहादुर उस गांव में पहुंचे थे जो महामारी का शिकार था भक्त की प्रार्थना पर गुरु तेग बहादुर जब गांव पहुंचे तो वह गांव में लगे बरगद के पेड़ के नीचे रुके उनके रुकते ही महामारी पूर्ण रूप से शांत हो गई इसके बाद इस स्थान का नाम दुख निवारण साहिब पड़ गया,ऐसी और भी कई मान्यताएं हैं जो सहज ही भक्तों को गुरुद्वारा साहिब की ओर आकर्षित करती हैं।

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