गुरू पूर्णिमा का आयोजन भारतीय संस्कृति और परम्परा का महत्वपूर्ण आयाम – प्रो. सुनील श्रीवास्तव

गुरू पूर्णिमा का आयोजन भारतीय संस्कृति और परम्परा का महत्वपूर्ण आयाम – प्रो. सुनील श्रीवास्तव

शिक्षक सीमित अर्थ में ज्ञान दे पाता है जबकि गुरू अंर्तदृष्टि से सम्पन्न बनाता है – केवलचंद्र जैन

रानी अवंती बाई राजकीय विश्वविद्यालय में गुरु पूर्णिमा पर 2 दिवसीय कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

सागर। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रानी अवंती बाई राजकीय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय गुरु महिमा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसके तहत स्थानीय विधायक शैलेंद्र जैन तथा सेवानिवृत शिक्षाविदों द्वारा गुरुजनों का सम्मान, वृक्षारोपण तथा गुरु महिमा पर विद्वतजनों के व्याख्यानों का आयोजन किया गया।
मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर रानी अवन्तीबाई लोधी विश्वविद्यालय सागर में 21 एवं 22 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय गुरूपूर्णिमा उत्सव के प्रथम दिन सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. जीएल दुबे एवं प्रो. सुनील श्रीवास्तव को कुलसचिव प्रो. शाक्ति जैन ने शॉल एवं श्रीफल भेट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में सम्मानित पूर्व प्राचार्यों ने गुरू पूर्णिमा आयोजन को भारतीय संस्कृति और परम्परा का महत्वपूर्ण आयाम बताया। प्रथम दिवस में हुए आयोजन के द्वितीय सत्र में विधायक शैलेन्द्र जैन द्वारा शिक्षकों को सम्मानित कर विवि परिसर में वृक्षारोपण किया। इस दौरान उपस्थित डॉ. सुखदेव वाजपेयी एवं डॉ. किरण आर्य ने अनेक प्रसंगों के माध्यम से गुरू पूर्णिमा उत्सव को गुरु-शिष्य परंम्परा के समृद्ध होने की दृष्टि से अनुकरणीय बताया।
आयोजन के दूसरे दिन सोमवार को डॉ हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के सेवानिवृत विभागाध्यक्ष प्रो. केवल चंन्द्र जैन, कन्या महाविद्यालय सागर की भूगोल की डॉ. अर्चना भार्गव तथा उच्च शिक्षा विभाग क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय के पूर्व ओएसडी डॉ. शैलेष आचार्य को सम्मानित किया गया। आयोजन को सम्बोधित करते हुए प्रो. केवल चंद जैन ने गुरू और शिक्षक के अन्तर पर विचार करते हुए कहा कि शिक्षक सीमित अर्थ में ज्ञान दे पाता है जबकि गुरू अंर्तदृष्टि से सम्पन्न बनाता है। डॉ. अर्चना भार्गव ने गुरू की महत्ता के पारंपरिक संदर्भ बतलाये। डॉ. शैलेष आचार्य ने सामान्य जीवन अनुभव में ज्ञान देने वालों को गुरू तुल्य बताया।उन्होंने कहा कि इस अर्थ में गुरू अनेक होते हैं। कार्यक्रम को विद्यार्थी प्रतिनिधि के रूप में एमए संस्कृत की छात्रा सुमन लोधी ने भी सम्बोधित किया। विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो.शक्ति जैन ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. अलका पुष्पा निशा ने किया। दो दिवसीय आयोजन के विविध सत्रों में विभागीय निर्देशानुसार विद्यार्थियों के समन्वय से उक्त गतिविधियॉ सम्पन्न की गई।
कार्यक्रम में डॉ. मिथलेष शरण चौबे, डॉ. एम. के मिश्रा, डॉ. भावना पटेल, डॉ. स्वर्णलता तिवारी, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ. मुकेष अहिरवार, आर्यन सिंह राजपूत, शीतल सोनी, आकाष कोरी, खूबसिंह लोधी सहित अनेक छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।
कुलसचिव जी के निर्देशानुसार
भवदीय
डॉ संदीप सबलोक

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