बीना को जिला बनाने और सिंचाई परियोजना में सभी गांवों को जोड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन
बीना को जिला बनाने की मांग और बीना नदी सिंचाई परियोजना में छूटे हुए गांवों को जोड़ने की मांग को लेकर शहर के गांधी तिराहा पर सात दिनों से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
सोमवार को समिति के सदस्य सीताराम सिंह ठाकुर ने बताया कि बीना को जिला बनाने की मांग 1982 में पहली बार उठी थी। इसके बाद कई बार जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन हुए। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान तक ने पूर्व में बीना को जिले का दर्जा देने का आश्वासन भी दे चुके हैं। लेकिन, किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।
वर्तमान विधायक ने भी अपने चुनावी एजेंडे में बीना को जिला बनाने की बात प्राथमिकता से रखी थी। कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद भाजपा में शामिल हुई विधायक निर्मला सप्रे का इस्तीफा देना तय माना जा रहा है। जिसके बाद बीना विधानसभा में उप चुनाव होगा। ऐसे में एक बार फिर लोग जिला बनाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
नहर का पानी खेत में लाएं
किसान सीताराम सिंह ठाकुर ने बताया कि बीना नदी सिंचाई परियोजना का प्रस्ताव साल 1974 में पारित हुआ था और इस परियोजना का सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ किया गया। इसके बाद नहरों का सर्वेक्षण कार्य 10 वर्ष पहले बीना तहसील के समस्त ग्रामों के खेतों में हुआ था। लेकिन आज तक इस परियोजना का कोई भी कार्य उक्त तहसील में नहीं हुआ, जो सभी किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
सीताराम सिंह ठाकुर ने बताया कि किसानों ने बीना नदी सिंचाई परियोजना में बीना तहसील के समस्त गांवों को पुनः जोडने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव के पहले आश्वासन दिया था कि सम्पूर्ण गांवों को जोडा जाएगा। लेकिन इस मामले में अभी तक कोई भी पहल नहीं हुई हैं। किसानों की मांग है कि नहर का पानी खेतों में लाया जाए।