लाखा बंजारा झील के पास बेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनकर हुआ तैयार
सागर। जीवन के लिये जल की एक-एक बूंद अमूल्य है। इसे व्यर्थ बहने से बचाने का हर संभव प्रयास हम सभी को करना चाहिए। यह बात नगर निगम आयुक्त सह कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड राजकुमार खत्री ने कही। 5 जून से 16 जून 2024 तक मध्यप्रदेश में चलाये जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान की चर्चा करते हुये निगमायुक्त ने कहा की इस महत्वपूर्ण अभियान का उद्देश्य नागरिकों को स्थानीय जल स्रोतों के महत्त्व को बताते हुये जल स्रोतो के संरक्षण करने और हमेशा इन्हें साफ-स्वच्छ रखने हेतु जागरूक बनाना है। जल को व्यर्थ बहने से बचाना और अपने आस-पास जल स्रोत कुआँ, बावड़ी, तालाब आदि को साफ-स्वच्छ रखना सभी स्थानीय नागरिकों की जिम्मेदारी है।
स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत सागर शहर में जल को बचाने के प्रयास ऐतिहासिक जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्विकास कर प्राथमिकता से किया जा रहा है। जल संवर्धन की दिशा में लाखा बंजारा झील जीर्णोद्धार एवं पुनर्विकास कार्य शहर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। आज झील में स्वच्छ वर्षा जल ही एकत्र है। पुराने समय में इसमें मिलने वाले नालों को टैप कर झील के पानी को साफ-स्वच्छ रखने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा की लाखा बंजारा झील के पास नवनिर्मित बेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह बनकर तैयार है। इस डब्लू डब्लू टी पी के माध्यम से झील किनारे नालाटैपिंग कर बिछाई गई लगभग 5 किलोमीटर लम्बाई की पाईप लाइन से बहकर आने वाले शहर के नाले-नालियों का बेस्ट वॉटर (गंदे पानी) को पूर्ण वैज्ञानिक पद्धिति से ट्रीटमेंट कर पुनरुपयोगी बनाया जायेगा। इस प्लांट से प्राप्त ट्रीटेड वॉटर का उपयोग सिंचाई के साथ ही धुलाई आदि अन्य कार्यों में किया जायेगा। और वॉटर ट्रीटमेंट के बाद जो स्लज निकलेगा वह खाद के रूप में उपयोगी होगा। बेस्ट वॉटर के ट्रीटमेंट से निकले साफ पानी एवं स्लज आदि की गुणवत्ता के परीक्षण हेतु लैब की भी स्थापना यहां की गई है। झील किनारे चारों ओर जुड़े 20 से अधिक वार्डों से बहकर शहर में एक बड़ी मात्रा में व्यर्थ होने वाले पानी को स्मार्ट सिटी के इस जल संवर्धन और संरक्षण के प्रयास से पुररूपयोग में लिया जा सकेगा। प्रतिदिन लगभग 4 एमएलडी बेस्ट वॉटर को ट्रीटमेंट कर पुरूपयोगी बनाया जायेगा, जिससे शहर में किये गये प्लांटेशन स्थलों में सिंचाई, साफ-सफाई धुलाई आदि में उपयोग होने वाले जल की बड़ी मात्रा में आपूर्ति संभव होगी और आवश्यकता पड़ने पर अग्निशमन वाहनों, टेंकरो को भी इस पानी से भरकर आग बुझाने में उपयोग जैसे कार्यों में भी उपयोग किया जा सकेगा।
झील किनारे बना 4 एमएलडी क्षमता का डब्लू डब्लू टी पी इस प्रकार करेगा कार्य
इस प्लांट में एक कलेक्शन चेम्बर, एक सम्पवेल, 2 एसबीआर टेंक बनाने सहित इलेक्ट्रोमेकेनिकल मशीनरी लगाने का कार्य किया गया है। 4 एमएलडी क्षमता का यह ट्रीटमेंट प्लांट एसबीआर टेक्नोलोजी पर कार्य करेगा। झील किनारे नाला टैपिंग कर बिछाई गई पाईप लाईन के मोंगा बधान पर एंड छोरों को इस प्लांट के कलेक्शन चेम्बर से जोड़ा जायेगा। नालों का गंदा पानी कलेक्शन चेम्बर से होते हुये सम्पवेल में एकत्र होगा। इस दौरान यहां लगी डिस्ट्रॉयटर और क्लासिफायर की छलनियों से मोटा कचरा अलग हो जायेगा और सम्पवेल से एसबीआर-1 एवं एसबीआर-2 में मिट्टी एवं अन्य घुलनशील पदार्थो वाला गंदा पानी डाला जायेगा। एसबीआर की वैज्ञानिक पद्धिति के तहत 4-4 घंटे की प्रोसेस में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने पर एनजाइम पानी को साफ करने का कार्य करते हैं और पानी में घुला कचरा एवं अन्य हानिकारक पदार्थ टेंक की तली में बैठ जाते हैं। इस प्रक्रिया के निश्चित समय के बाद एसबीआर टेंक से ऊपर-ऊपर के साफ पानी को डिकेन्डर द्वारा निकालकर फ़िल्टरेशन टेंक में जमा किया जाता है। इसके बाद प्रयोगशाला में जाँच कर इस साफ पानी का पुनः उपयोग किया जा सकता है। एसबीआर टेंक की तली में जमा स्लज को स्लज टेंक में निकालकर खाद आदि मैन्योर के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।
इस तरह पुनः उपयोग हो सकेगा ट्रीटेड वॉटर
1- झील किनारे एवं शहर में अन्य स्थलों पर लगे पेड़-पौधों की सिचाई की जा सकेगी।
2- अग्निशमन वाहनों को भरकर आग बुझाने में उपयोग किया जा सकेगा।
3- टॉयलेट एवं सामुदायिक शौचालय आदि अन्य शासकीय सम्पत्ति की साफ-सफाई धुलाई हेतु उपयोग किया जा सकेगा।
4- झील में आवश्यकता पड़ने पर डाला जा सकेगा।