प्रज्ञा से ही प्रकृति, प्रतिष्ठा, संस्कृति और संपूर्ण संसार प्रकाशित है – प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

प्रज्ञा से ही प्रकृति, प्रतिष्ठा, संस्कृति और संपूर्ण संसार प्रकाशित है – प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

सागर। “संपूर्ण संसार में संस्कृति और प्रगति का मूल आधार प्रज्ञा है. प्रज्ञा के प्रकाश से जीवन को सार्थक बनाने की राह प्रशस्त होती है. विश्व संत स्वामी प्रज्ञानंद जी ने प्रज्ञा पीठाधीश्वर के रूप में हम सब को ज्ञान और अध्यात्म की रोशनी से आलोकित किया है.” यह विचार हैं प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत के

प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने प्रज्ञा पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद जी के चतुर्थ पुण्य स्मरण समारोह के अवसर पर प्रज्ञाधाम कटंगी में प्रज्ञा पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर साध्वी विभानंद से सौजन्य भेंट की और आशीर्वाद लिया.

उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रज्ञानंद जी ने प्रज्ञा गायत्री परिवार की स्थापना की. स्वामी प्रज्ञानंद विश्व आयुर्वेद संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने अध्यात्म के साथ ही शिक्षा, समाज सेवा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक प्रकल्प प्रारंभ किए हैं. उनके बाद प्रज्ञा पीठाधीश्वर महा मंडलेश्वर साध्वी विभानंद उनके प्रकल्पों एवं संकल्प को पूरा करने में संलग्न हैं।

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