भारतीय समाजशास्त्र के पुरोधाओं में से एक हैं प्रो योगेन्द्र सिंह- प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

भारतीय समाजशास्त्र के पुरोधाओं में से एक हैं प्रो योगेन्द्र सिंह- प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रो. योगेन्द्र सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान

सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग में “डायलॉग विद इन सोशियोलॉजी” के अंतर्गत विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानविकी एवं समाजविज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह समाजशास्त्र के भारतीय संस्करण के पुरोधाओं में अग्रणी कहे जा सकते हैं. आधुनिकीकरण और परंपराओं पर उनके लेखन को सर्वकालिक-सार्वभौमिक दस्तावेज की प्रतिष्ठा प्राप्त है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में उनके कार्यों की आधारशिला और विश्व व्यापी गतिविधियों से उनके अद्भुत व्यक्तित्व को पहचाना जा सकता है. प्रोफेसर राजपूत ने प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह की पुण्य तिथि पर उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में शोध से लेकर प्रशासकीय सेवाओं तक के लिए उनके लिखे मौलिक ग्रंथों की उपयोगिता स्वयं प्रमाणित है. अपने अध्यक्षीय उद्वोधन में प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि प्रो. योगेन्द्र सिंह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने व्यक्तित्वों को गढ़ा है.

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शिवशंकर जेना ने कहा कि प्रो. योगेन्द्र सिंह का अध्ययन उनके सैद्धांतिक स्वरूपों को अपने प्राप्त किये हुये अनुभव के आधार पर विद्यार्थीयांे एवं शोधार्थीयों के साथ साझा किया। प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह ने भारतीय संदर्भ में समाजशास्त्रीय अवधारणाओं और सिद्धांतों को एक नया आधार दिया.

आभार ज्ञापन शोधार्थी अनुराधा शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में ज्योति भारद्वाज, प्रियंका यादव, अमरमणी त्रिपाठी, अजय कुमार विष्वकर्मा, प्रिया गर्ग, सौम्या पांडे, नेहा मालवीय, सौरभ असाटी, अर्पित श्रीवास्तव, दीक्षा पटेल, रोशनी श्रीवास्तव, प्रीति लोधी, मालविका, अंशिद, अंचल, शिवेश आदि विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहें।

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