मंत्रों को मोबाइल की रिंगटोन में नही लगाना चाहिए मुनि श्री ने बताएं कारण

मंत्रों को मोबाइल की रिंगटोन में डालकर अवज्ञा ना करें : मुनि श्री

सागर। रहली में परम पूज्य आचार्य विद्यासागर जी एवं वर्तमान आचार्य समय सागर जी के आज्ञानुवर्ति शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने दूसरे दिवस सासंघ प्रातः काल पंढरपुर क्षेत्र के दोनों मंदिरों के जीर्णोद्धार उपरांत उनका अवलोकन किया और मंदिर में विराजमान मूल नायक भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की इसके बाद बिहार करते हुए जैन धर्मशाला रहली पहुंचे और वहां पर धर्म सभा को संबोधित किया।
मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने मंदिर प्रवेश के साथी उच्चारण किए जाने वाले मंत्र और पूजा में चढ़ाए जाने वाली द्रव्य के बारे में विस्तार से समझाया उन्होंने कहा कि प्रभु को उत्तम वस्तु चढ़ाना चाहिए , सामर्थ्य अनुसार स्वर्ण रजत ताम्र पात्रों से अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आदि करना चाहिए। आचार्य श्री विद्यासागर जी की गृहस्थ जीवन की मां श्रीमन्ती ने गुरु दीक्षा के समय अपने स्वर्ण आभूषण से 108 स्वर्ण के पुष्प बनवाकर भगवान की पूजन की थी ।मुनि श्री ने कहा कि मन बंदर के समान चंचल होता है इसे काबू में रखना चाहिए। आपका मन खोटे कार्यों में लगाया है तो दुर्गति होती है , अपने मन को सदैव अच्छे-अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए।

श्रीफल चढ़ाना अर्थात श्री की प्राप्ति करना है श्री लक्ष्मी को कहते हैं आध्यात्मिक दृष्टि से श्री अर्थात मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति की कामना है श्रीफल चढ़ाने से एक राज्य की प्राप्ति होती है, इसीलिए प्रतिदिन प्रभु को एक श्रीफल अवश्य चढायें।
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि मंत्रों का उपयोग अनादि काल से होता आया है मंत्र बहुत पावरफुल होते हैं इनकी साधना से विद्या रिद्धि सिद्धियां और शक्तियां सब कुछ प्राप्त होता है , इनको मोबाइल की रिंगटोन में डालकर मंत्रों की अवज्ञा न करें ,मंत्र की माला फेरने से फायदा होता है ,संकल्प करके माला फेरते हैं तो बहुत फायदा होता है, मंत्र जाप करते समय तन मन और स्थान की शुद्धि भी बनाये रखें।

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