दूषित पानी के बदले कंपनी को जुर्माना लगा

दूषित पानी के बदले कंपनी को जुर्माना लगा

भोपाल। एक उपभोक्ता ने शीतल पेय स्प्राइट की एक बोतल सात रुपये में खरीदी।घर पहुंचकर उसने थोड़ा सा ही पीया तो उसे बोतल में मरी हुई मक्खी, कंकड़ दिखाई दिया। उसे घबराहट महसूस हुई और उसे उल्टी होने लगी। जब बोतल का परीक्षण किया तो उस पर बैच नंबर और और निर्माण की तारीख लिखा हुआ नहीं था। मामले की शिकायत उपभोक्ता ने जिला आयोग में की।आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया, लेकिन कंपनी ने मप्र राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी।

आयोग में 2016 में हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेज प्रालि ने उज्जैन निवासी शेष नारायण और विकास जैन के खिलाफ अपील लगा दी।मामले में आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कंपनी के ऊपर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया। आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एके तिवारी व सदस्य श्रीकांत पांडेय ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि खाद्य या पेय पदार्थों के बोतल या पैकेजिंग के ऊपर निर्माण व एक्सपायरी की तारीख अवश्य लिखा होना चाहिए। गुणवत्ताविहिन पेय पदार्थ पीने से उपभोक्ता की तबियत ज्यादा खराब हो गई और यह बड़ी लापरवाही है।

कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया

कंपनी ने तर्क रखा कि कंपनी द्वारा निर्मित पेय पदार्थ की पैकेजिंग एवं लेबलिंग में गुणवत्ता संबंधी मानकों का कड़ाई से पालन किया जाता है।आयोग ने इस तर्क को खारिज कर दिया। जब बोतल का परीक्षण कराया गया तो उस पर बैच नंबर और और निर्माण की तारीख लिखा हुआ नहीं था और पेय पदार्थ गुणवत्ताविहिन था। आयोग ने कहा कि कंपनी ने निर्मित शीतल पेय की पैकेजिंग एवं लेबलिंग में गुणवत्ता संबंधी मानकों का कड़ाई से पालन नहीं किया। इस कारण अब उपभोक्ता को मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी।

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