गुरूदेव के साथ मेरा 38 मिनिट का संवाद, मेरे जीवन का सबसे अमूल्य धरोहर : विधायक जैन

गुरूदेव के साथ मेरा 38 मिनिट का संवाद, मेरे जीवन का सबसे अमूल्य धरोहर : विधायक जैन

सागर। महाश्रमण युग शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज जी के समतापूर्वक समाधि पर भावपूर्ण कृतज्ञांजलि सभा का आयोजन भाग्योदय तीर्थ में रविवार को किया गया। दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक आयोजित इस कृतज्ञांजलि सभा में सर्व समाजजन, गुरूभक्त उपस्थित होकर पूज्य गुरूदेव को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए।

कृतज्ञांजलि सभा को संबोधित करते हुए विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि आज हम सबके लिए एक परीक्षा की घड़ी है। ऐसे समय में जब हम सभी को परमपूज्य गुरूदेव की आवश्यकता थी, तब अचानक गुरूदेव का हम सबके लिए ऐसे छोड़कर जाना किसी त्रासदी से कम नहीं है।

यह समय निश्चित रूप से आप और हम सबके लिए बड़ा कठिन समय है। उन्होंने आचार्य गुरूवर विद्यासागर महाराज जी के साथ 38 मिनिट का संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि वह संवाद मेरे जीवन का अमूल्य धरोहर बन गया। जब हाल में ही उनके दर्शन करने के लिए हम डोंगरगढ़ पहुंचे तो आचार्य गुरूवर ने आवाज देकर बुलवाया। उस दौरान परम पूज्यनीय आचार्य श्री ने पशुधन, श्री अन्न समेत देश के अंदर जितनी भी समस्याएं थी, उनका समधान कैसे हो सकता है। उन सब विषयों पर चर्चा की। गुरूदेव ने मुझे उन तमाम विषयों की ओर काम करने के लिए प्रेरित किया, जो उनके संज्ञान में थे, जो उनके ह्रदय में थे। गुरूवर के उस 38 मिनिट के संवाद में 30 मिनट गुरूदेव ही बोलते रहे।

विधायक जैन ने कहा कि हाल में ही दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान जब गुरूवर की समाधि की जानकारी लगी तो उस दिन के राष्ट्रीय अधिवेशन का एजेंड़ा ही बदल गया। अधिवेशन की शुरूआत गुरूवर को श्रृद्धांजलि और विनयांजलि के साथ शुरू हुई और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन के सारे विषयों को छोड़कर परम पूज्यनीय गुरूदेव के बारे में बोला तो अनेक बार उनकी आंखें भर आईं। गला रुँधना गया। उनका गुरूदेव के साथ आत्मीय संबंध था।

विधायक जैन ने कहा कि जब कई राष्ट्रीय प्रतिनिधि साधु संतों के पास जाते हैं, कभी-कभी धर्मशाला निर्माण, जमीन आवंटन जैसी मांगे की जाती है, लेकिन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने राष्ट्र कल्याण के अलावा समाज के लिए कभी भी कोई मांग नहीं की। मैं समझता हूं कि गुरूवर के लिए भारत रत्न उनके छोटा होगा, क्योंकि वे विश्व में प्रख्यात हैं। उनकी कीर्ति पूरे विश्व में फैली हुई है। उन्हें विश्व का सबसे बड़ा नॉबेल पुरुस्कार मिले। इसके लिए प्रधानमंत्री जी के लिए मुख्यमंत्री के माध्यम से अपनी बात रखूंगा।

उन्होंने कहा कि अब गुरूदेव हम सबके लिए एक चुनौती छोड़कर गए हैं, जो संस्थाएं गौ माता के संरक्षण और संवर्धन के लिए और जो शांतिधारा अभियान उन्होंने शुरू किया है, अब उनके सफलता पूवर्क संचालन की जिम्मेदारी हम सब पर है। हम सभी को एक संकल्प लेना चाहिए कि परम पूज्यनीय गुरूदेव के जो भी प्रकल्प उनके आशीर्वाद से चल रहे हैं, एक भी प्रकल्प बंद नहीं होना चाहिए।

विधायक जैन ने कहा कि आचार्य गुरूवर के जन्म और उनके तपस्या को लेकर पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी शामिल हो। इसका प्रयास अगले विधानसभा सत्र में करूंगा। इसके साथ ही रतौना शीत फार्म के पास जो खाली पड़ी जमीन हैं, वहां गौ अभयारण्य बनाने और उस अभयारण्य का नाम आचार्य श्री विद्यासागर महाराज रखने का प्रस्ताव मैंने पशुपालन मंत्री लखन पटेल के समक्ष रखा है। उन्होंने उसे पूरा करने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा पर अवकाश घोषित करने की बात भी उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष रखने की बात कही। गुरूदेव आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के श्रीचरणों का स्मरण करते हुए विधायक जैन ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।

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