सागर में मावठ की बारिश और कोहरे से फसलों को हो रहा नुकसान 

सागर में मावठ की बारिश और कोहरे से फसलों को हो रहा नुकसान 

सागर। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने और सर्द हवाओं का असर सागर के मौसम पर पड़ा है। पिछले दो दिनों से सागर जिले के अलग-अलग हिस्सों में रुक-रुककर मावठे की हल्की बारिश हो रही है। बारिश से वातावरण में ठिठुरन बढ़ी है। शुक्रवार को सुबह से घना कोहरा छाया रहा। वहीं दिनभर आसपास में बादल और धुंध छाई हुई है। इस दौरान सागर का अधिकतम तापमान 16.6 डिग्री और न्यूनतम पारा 11.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटों में जिले में बादल छाए रहेंगे। कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है। इधर, मौसम में अचानक आए बदलाव के कारण किसान चिंतित हैं। कोहरे की वजह से जहां वाहनों की रफ्तार धीमी हो गई है। वहीं पाले से फसलों को नुकसान हो सकता है। आलू, मसूर, सरसों, अरहर, चना की फसल को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। अगर ऐसे ही पारा गिरता रहा तो सबसे ज्यादा असर रबी सीजन की दलहनी फसलों के साथ ही आलू पर पड़ेगा। मौसम साफ होने के बाद तापमान कम होने से मटर, चना और आलू की फसलों पर पाला रोग का खतरा हो सकता है।

मसूर, अरहर, चना की फसल को नुकसान किसान बबलू पांडे ने बताया कि कोहरा से फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान है। मसूर, चना, प्याज समेत अन्य फसलें प्रभावित हो रही हैं। जिन फसलों में फूल आ गए थे, वह कोहरे और बारिश के कारण झड़ गए हैं। कुछ फसलों के फूल मुरझा रहे हैं। हालांकि ओस से फसलों को फायदा है। खेत में नमी रहती है। अब धूप निकलना चाहिए। ताकि फसलें अच्छी होंगी। लेकिन यदि ऐसा ही मौसम रहा तो फसलें खराब होंगी। साथ ही किसानों को फसलों को तैयार करने में ज्यादा मेहनत करना पड़ेगी। किसान हरदास पाल ने बताया कि कोहरा और बारिश के कारण फसलें प्रभावित हुई है। फूल कम आए हैं। फलियां छोटी हो रही है। चना, बटरी, मसूर में ज्यादा नुकसान है। अब मौसम साफ होना चाहिए। ताकि फसलों को बचाया जा सके। मौसम से फसलों को बचाने ये उपाय करें

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम को देखते हुए किसानों को फसलों के बचाओं के लिए उपाय करना होंगे। इसमें गेहूं में 40 व 60 दिन बाद दूसरी व तीसरी सिंचाई करें। जिसके बाद यूरिया की 25 किग्रा प्रति एकड़ की दर से या नैनो यूरिया, डीएपी की 3 मिली प्रतिलीटर की दर से छिड़काव करें। मौसम खुलते ही चना और मसूर आदि फसलों में रस चूसक कीट व इल्लियों आदि का प्रकोप बढ़ने पर कीटनाशी का छिड़काव करें। चने में इल्लियों के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ 20-25 टी आकार की जगह-जगह खूंटिया लगाएं। रस चूसक कीटों से बचाव के लिए पीले रंग के चिपचिपे स्टिीकी ट्रेप लगाएं। फूल की अवस्था में विशेषकर चना व मसूर में सिंचाई करने से बचें। साथ ही फसल की वृद्धि अच्छी होने से आवश्यक रूप से टॉनिक आदि का छिड़काव नहीं करें। मौसम खुलते ही आगे यदि तापमान 5-6 डिग्री सेंटीग्रेड से कम होने लगे तो पाले से बचाव के उपाय करें। विशेषकर सब्जियों में। इसके लिए रात को मेड़ों पर धुंआ करें। शाम को फसलों में सिंचाई करें। मध्य रात्रि के बाद सिंचाई नहीं करें। साथ ही 2-2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर फसलों घुलनशील गंधक सल्फर का छिड़काव कर सकते हैं।

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