जूते पहनकर गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के मामले में कुलपति और प्रभारी कुलसचिव ने गौर समाधि पहुंचकर मांगी माफी

जूते पहनकर गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के मामले में कुलपति और प्रभारी कुलसचिव ने गौर समाधि पहुंचकर मांगी माफी

सागर। गौर जयंती पर सागर सपूत डॉ. हरीसिंह गौर की प्रतिमा पर जूते पहनकर माल्यार्पण करने के मामले में शहर में बढ़ते विरोध के दबाव में 8 दिन बाद कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता और प्रभारी कुलसचिव डॉ. एसपी उपाध्याय ने माफी मांग ली। दोनों ने गौर समाधि पहुंचकर डॉ. गौर को नमन करते हुए गौर जयंती पर हुई मानवीय त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना की। क्षमा याचना की।

यह जानकारी कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव की क्षमा याचना मांगते हुए फोटो जारी कर विवि के मीडिया अधिकारी ने दी है। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर को तीन बत्ती स्थित गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण के दौरान यह गलती की गई थी। जिसका विरोध मौके पर ही लोगों ने किया था।

ऐसे चला पूरा घटनाक्रम

• 26 नवंबर : तीन बत्ती स्थित गौर प्रतिमा पर कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव ने जूते पहने हुए माल्यार्पण किया। लोगों ने विरोध जताया, माफी की मांग की। विवि के मीडिया अधिकारी डॉ. विवेक जायसवाल ने इसे अप्रासंगिक, अराजक और साजिशपूर्ण आरोप बताते हुए कहा गौर जयंती पर जहां जैसी परिस्थिति थी, उसी अनुरूप कार्य किया गया। डॉ. गौर के प्रति अगाध प्रेम, श्रद्धा और उत्साह में इस तरह की मानवीय भूल हो सकती है।

• 27 नवंबर : मामले ने तूल पकड़ा, गौर नगर

पार्षद शिवशंकर यादव ने विवि के बयान को कुतर्क बताते हुए सार्वजनिक माफी की मांग की। हालांकि वीसी-प्रभारी कुलसचिव मौन रहे।

• 28 नवंबर : डॉ. गौर के सम्मान के लिए

अभाविप के कार्यकर्ताओं ने विवि के इतिहास में पहली बार कार्यपरिषद की बैठक में प्रदर्शन किया। कुलपति-प्रभारी कुलसचिव से माफी की मांग की। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी यही मांग की।

• 29 नवंबर : वीसी एवं प्रभारी कुलसचि ने घटना

के लिए खेद जताया। अभाविप ने इसे नाकाफी बताते हुए सद्बुद्धि यज्ञ किया। स्पष्ट माफी की मांग की। निगमाध्यक्ष ने निगम से निंदा प्रस्ताव भेजने की बात कही।

• 30 नवंबर : विवि की प्रॉक्टर प्रो. चंदा बेन ने

विवि में प्रदर्शन करने वाले छात्रों की जानकारी जुटाने पत्र जारी किया। अभाविप ने छात्रों का पक्ष लेते हुए कहा कि माफी मांगने की जगह गौर साहब के सम्मान में आवाज उठाने वालों पर कार्रवाई की तैयारी कर विवि प्रशासन डॉ. गौर का और कितना अपमान करेगा? भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने निंदा प्रस्ताव सहित शिकायती पत्र भारत सरकार को भेजने की बात कही।

• 1 दिसंबर : विश्व हिंदू परिषद के कपिल

स्वामी ने अनूठा प्रदर्शन करते हुए कुलपति के पुतले को गौर प्रतिमा के सामने रखकर माफी मंगवाई। भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शैलेष केशरवानी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव उपाध्याय को पद से हटाने की मांग की। अभाविप ने हस्ताक्षर अभियान चलाया।

• 2 दिसंबर : भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शैलेष केशरवानी ने कहा स्वास्थ्य या उम्र के कारणों से सुनियोजित तरीके से डॉ. गौर का अपमान न हो, इसलिए विवि के कुलपति चयन में फिटनेस टेस्ट अनिवार्य हो।

• 3 दिसंबर : विवि के पुरा छात्रों ने कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव को हटाने पोस्ट कार्ड अभियान शुरू करने की बात कही। आचार संहिता हटते ही शहरभर में बड़े आंदोलन-प्रदर्शन को लेकर तैयारियां शुरू हुईं।

• 4 दिसंबरः पुरा छात्रों ने कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव को हटाने पोस्ट कार्ड अभियान शुरू किया। इस बीच वीसी एवं प्रभारी कुलसचिव ने गौर समाधि पहुंचकर क्षमा-याचना की।

पहले ही दिन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम 500 पोस्ट कार्ड भेजे गए

कुलपति और प्रभारी कुलसचिव द्वारा जूते पहनकर माल्यार्पण करने और माफी न मांगने के रवैये के खिलाफ सागर में तीखा आक्रोश है। सोमवार को सिविल लाइन में युवाओं ने कुलपति हटाओ अभियान के तहत पोस्टकार्ड अभियान चलाया। मनीष बोहरे ने बताया विवि के छात्र और शहरवासियों ने डॉ. गौर का सम्मान बरकरार रखने और ऐसे असंवेदनशील कुलपति, प्रभारी कुलसचिव उपाध्याय व अन्य दोषी कर्मचारियों को हटवाने के लिए राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को संबोधित 500 से अधिक पोस्टकार्ड पहले ही दिन दिल्ली भेजे गए। बोहरे ने बताया जब तक कुलपति, अन्य को नहीं हटाया जाता चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।

डॉ. गौर का अपमान करने पर गजभिए को जेल जाना पड़ा था: रघु

सर्वदलीय मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर ने गौर जयंती पर कुलपति गुप्ता एवं प्रभारी कुलसचिव डॉ. उपाध्याय द्वारा जूते पहनकर माल्यार्पण करने की घटना पर चिंता जताई है। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव ने जो किया इससे समूचा बुंदेलखंड हतप्रभ और दुखी है। यह अपमान करने वाली घटना है। कुलपति भारतीय संस्कृति का दावा करने वाले परिवार से आती हैं। उनसे संस्कारों की अपेक्षा स्वाभाविक है।

जी-20 कार्यक्रम में आए अनेक देशों के प्रतिनिधियों ने गांधीजी की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन से लेकर सभी ने समाधिस्थल से दूर अपने जूते उतारे और पैदल चलकर पुष्प अर्पित किए। यह सम्मान का प्रतीक है और परंपरा भी। ऐसा कोई कानून भी नहीं है कि वरिष्ठ नागरिक जूता पहनकर माला पहनाए। प्रो. सुरेश आचार्य ने किन्ही कारणों से आग्रह किया था तो भी यह उनका बड़प्पन होता कि कुलपति जूते उतार कर जातीं और माल्यार्पण करतीं।

अब उनको चाहिए वे सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करें। ऐसा करेंगी तो सम्मान होगा। कुलपति को चाहिए कि वे मीडिया के समक्ष अपनी गलती स्वीकार करें और खेद व्यक्त करें। बड़े पद पर बैठे लोगों को गलती स्वीकारने का साहस होना चाहिए। पद बड़ा नहीं होता है। अच्छे कार्य करने वाला बड़ा होता है जिसको हम सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा डॉ. गौर का अपमान जो करते हैं, उनको कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। गौर जयंती पर ही पूर्व कुलपति एनएस गजभिए भी डॉ. गौर को सम्मान प्रकट करने नहीं आए थे, उनको जेल जाना पड़ा था।

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