एक्शन में सीएम, मंत्रालय की बैठक में अधिकारियों को सौंपा संकल्प पत्र, बोले-एक सप्ताह में रोडमैप बनाए

एक्शन में सीएम, मंत्रालय की बैठक में अधिकारियों को सौंपा संकल्प पत्र, बोले-एक सप्ताह में रोडमैप बनाए

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को मंत्रालय में सीएस के साथ ही सभी एसीएस, प्रमुख सचिव और सचिवों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने सभी अधिकारियों के हाथ में भाजपा के संकल्प पत्र की कॉपी दी और अपने-अपने विभाग अनुसार वादों, योजना के क्रियान्यवन के लिए एक सप्ताह में रोडमैप बनाने के निर्देश दिए। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि भाजपा का संकल्प पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की गारंटी है। हमारे जिस संकल्प पत्र पर जनता ने भरोसा जताया है अब उसे पूरा करने का समय आ गया है। इसे पूरा करने में हर विभाग को जुटना है। हर विभाग संकल्प पत्र का अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि सभी संकल्पों, सभी घोषणाओं की पूर्ति का काम मिशन मोड से प्रारंभ करने का काम मुख्य सचिव को सौंपा। उन्होंने कहा कि यह संकल्प पत्र प्रधानमंत्री की गारंटियों का गुलस्ता है, जिसे गंभीरता से लें। संकल्प पत्र के क्रियान्वयन के लिए सभी विभाग एक सप्ताह में रोडमेप बनाएं। यह संकल्प पत्र ही सरकार के अगले पांच वर्षों का विजन डॉक्यूमेंट है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

जानकारी के अनुसार सीएम ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस मोड में काम करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा है कि जनता को समय पर और आसान प्रक्रिया से सेवाएं सुनिश्चित कराएं।

मंत्रिमंडल समूह गठित होंगे 

प्रदेश में अभी मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण की है। अभी मंत्रिमंडल का गठन होना है। जिसके गठन के बाद संकल्प पत्रों के क्रियान्यन के लिए मंत्रियों के समूह गठित कर जिम्मेदारी दी जाएगी। सीएम ने पारदर्शी और संवेदनशील शासन वयवस्था बनाने के निर्देश दिए है।

क्रियान्वयन के लिए पोर्टल बनेगा 

सभी संकल्पों के क्रियान्वयन की नियमित मॉनीटरिंग मुख्य सचिव स्तर पर की जाएगी। इसके लिए अलग से पोर्टल भी तैयार करने को कहा गया है। जिसमें ऑनलाइन जानकारी अपलोड करने और मॉनीटरिंग की व्यवस्था हो।

संकल्पों को पूरा करने यह निर्देश भी दिए-

– दो से अधिक विभाग वाले संकल्पों को पूरा करने के लिए मुख्य सचिव नोडल विभाग बनाएंगे।

– जहां पैसे की आवश्यकता नहीं है, वित्तीय संसाधन उपलब्ध है। ऐसे प्रकरण में तत्काल आदेश जारी किए जाएंगे। बजट की जरूरत होने पर वित्त विभाग से चर्चा कर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

– नीतिगत निर्णय लेने या कोई नियमों में बदलाव की जरूरत हो तो प्रकरण कैबिनेट में लाए जाए।

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