भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश के जन्मोत्सव से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश के जन्मोत्सव से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

सागर। पीटीसी ग्राउंड पहलवान बाबा मंदिर के सामने चल रही श्री शिव महापुराण कथा के छठमें दिवस में कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए बापूजी ने माता पार्वती के विदाई प्रसंग की कथा सुनाई और आजकल जो समाज में दहेज प्रथा का रोग चल रहा है उसको लेकर बापूजी जमकर बरसे बापू ने कहा कि आज समाज में कुछ ऐसे लोग ही लोग हो गए हैं जिन्हें अपने बाहुबल पर भरोसा नहीं जो अपनी बाहुबल से कुछ भी करना नहीं चाहते बस समाज में अपने बच्चों को बेच रहे हैं और उनके विवाह में बेटी के घरवालों से दहेज के रूप में लाखों रुपए वसूल रहे हैं मैं ऐसे लोगों से कहूंगा कि पैसों से जो संबंध बनते हैं वह ज्यादा दिन तक नहीं चलते हैं बापूजी ने ऐसी बेटियों को भी कहा कि ऐसे घरों में विवाह कभी नहीं करना जो लालच से भरे हैं और जो तुम्हारे पिता को ज्यादा से ज्यादा दहेज मांग कर लूट ते है ऐसे बर को कभी स्वीकार नहीं करना बापू ने कहा कि हर युवान को चाहिए अपने बाहुबल पर धन अर्जित करें और दूसरों की बेटी जिससे विवाह करते हैं उनको भी अपने कर्तव्य का और कर्म का संदेश दें ना कि अपने घर वालों को अपनी बोली लगाने दें विदाई का कारुनिक प्रसंग मैं सभी की आंखें नम हो गई और बापूजी ने बाद में शिव शंकर चले कैलाश बुंदिया पड़ने लगी भजन गाकर सभी श्रोताओं को आनंदित कर दिया बाद में भगवान कार्तिकेय के प्राकट्य उत्सव की कथा सुनाई और कहा कि भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक दैत्य का वध करके मानो एक संदेश दिया कि हर युवाओं को चाहिए कि अपने धर्म की रक्षा करें और उसकी सुरक्षा हेतु संपूर्ण जीवन का योगदान दे बाद में भगवान गणेश के प्रकट की कथा सुनाई और कहा कि गणेश भगवान अपनी बुद्धि के कारण प्रथम पूज्य बन और भगवान गणेश के जीवन से प्रत्येक युवाओं को संदेश लेना चाहिए उनके विवेक का उनकी बुद्धिमत्ता का सभी को उनकी आराधना करनी चाहिए बाद में अंधकासुर दैत्य के

विनाश की कथा भी परम पूज्य बापू ने सुनाई कल कथा के माध्यम से द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा सुना कर कथा को विश्राम दिया जाएगा आज कथा में मुख्य यजमान प्रतिभा डॉ अनिल तिवारी अध्यक्ष षिवषंकर मिश्रा अजय दुबे डॉ. अंकलेष्वर दुबे बुंदेल सिंह बुंदेला रीशांक तिवारी पप्पू तिवारी प्रतिभा चौबे गोलू रिछारिया अशोक उपाध्याय प्रियेश उपाध्याय इंजी राजेंद्र सिलाकारी सोमेश् जड़िया श्याम नेमा बिरजू बिलथरे अमित मिश्रा आदि ने कथा की आरती की।

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