कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड

कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड

सागर। कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी कल्याण चक्रवर्ती को न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा-8 सहपठित धारा- 20(इ)(पप)(ब) के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । दो अन्य आरोपी फरार है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन)  धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में विषेष लोक अभियोजक  संजय कुमार पटैल ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना गोपालगंज को दिनांक 20.02.20 को करीब 1ः00 बजे मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि राजघाट रोड मैनपानी के रास्ते एक मारूति सुजुकी बैगन आर कार में कुछ व्यक्ति अवैध मादक पदार्थ विक्रय हेतु ले जा रहे हैं, जिसकी सूचना सान्हा में दर्ज की गई। सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भेजने के पश्चात् हमराह स्टाफ सहित विवेचना किट लेकर मुखबिर के बताए स्थान आरटीओ तिराहा पहुंचे, जहां पर बिना नंबर की एक बैगानार कार खड़ी थी। कार में बैठेसंदेहियों को घेराबंदी कर पकड़ा गया नाम पता पूछने पर अपने नाम भरत प्रजापति, कल्याण चक्रवर्ती एवं मुकेश कुमार माग्रे बताया जिन्हें मुखबिर सूचना से अवगत कराया गया। आरोपीगण के आधिपत्य की कार की तलाशी ली गई जिनमें बीच में तथा पीछे तरफ तीन प्लास्टिक की सफेद बोरियां भरी मिली जिन्हें खोलकर देखने पर उनमें हरेरंग का मठमैला पत्तीदार पदार्थ पाया गया जिसे संूघकर,, रगड़कर एवं जलाकर देखने पर वह मादक पदार्थ गांजा होना पाया । आरोपीगण के आधिपत्य से जप्त मादक पदार्थ को तौल करने पर एक बोरी से 15 किलो, दूसरी बोरी से 15 किलो एवं तीसरी बोरी से 9 किलो 200 ग्राम कुल वजन 39 किलो 200 ग्राम होना पाया । आरोपी का कृत्य धारा- 8/20 एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत पाये जाने से उसे गिरफ्तार किया गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गोपालगंज में धारा-8 सहपठित धारा-20(इ)(पप)(ब) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985)जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।

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