गौर प्रतिमा पर जूते पहनकर माल्यार्पण मामले में यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन के सामने छात्रों ने किया सद्बुद्धि यज्ञ
सागर। गौर जयंती पर डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता समेत विवि के अधिकारियों द्वारा जूते पहनकर डॉ. सर हरिसिंह गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। ईसी की बैठक में हंगामे के बाद परिषद के पदाधिकारियों ने बुधवार को यूनिवर्सिटी में सद्बुद्धि यज्ञ किया। वे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने जमा हुए। जहां गेट के सामने विश्वविद्यालय की कुलपति और अन्य अधिकारियों को सद्बुद्धि देने के उद्देश्य से पंडितों के मंत्रोच्चारण के साथ सद्बुद्धि यज्ञ किया गया। यज्ञ के बाद छात्रों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल भी तैनात रहा।
दरअसल, 26 नवंबर को डॉ. हरिसिंह गौर की 154वीं जयंती पर सागर के तीनबत्ती स्थित गौर मूर्ति पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए। थे। जहां उन्होंने जूते पहनकर डॉ. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था। मामला सामने आते ही विरोध शुरू हो गया है।
विरोध में चलाएंगे हस्ताक्षर अभियान प्रदर्शन कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांतीय सहमंत्री सावन सिंह ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति ने गौर जयंती के दिन गौर प्रतिमा पर जूते पहनकर माल्यार्पण किया था। उनको इसके लिए गौर साहब की मूर्ति के समक्ष जाकर माफी मांगनी चाहिए। यदि वे माफी नहीं मांगती हैं तो विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। आज सद्बुद्धि यज्ञ किया गया और गुरुवार से विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। प्रबंधन ने पत्र जारी कर घटनाक्रम पर जताया खेद मामले में विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विवेक जायसवाल ने प्रबंधन का पक्ष रखा है। उन्होंने पत्र जारी कर लिखा है कि विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं पितृपुरुष डॉ. हरिसिंह गौर के प्रति विश्वविद्यालय परिवार की आस्था और सम्मान सदैव अक्षुण्ण है। गौर जयंती के अवसर पर आयोजन के दौरान हुई मानवीय त्रुटि से जाने-अनजाने में यदि जन भावनाएं आहत हुई हैं तो उसके लिए कुलपति और प्रभारी कुलसचिव ने स्वयं एवं सभी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस के लिए हृदय से खेद व्यक्त किया है। साथ ही सभी संबंधितों से विश्वविद्यालय के अकादमिक वातावरण को समृद्ध बनाए रखने में पूर्व की भांति अपना रचनात्मक सहयोग देने की अपील की है।