MP: विवेचना के दौरान पुलिस को रिश्वत देने के मामलें में आरोपियों को सजा और जुर्माना

सहायक उप-निरीक्षक को मामले की विवेचना की ऐवज में रिश्वत देने वाले दोनों आरोपीगण को 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । सहायक उप-निरीक्षक को माामले की विवेचना की ऐवज में रिश्वत देने वाले आरोपीगण कमलेश कुर्मी व अमित कुर्मी को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-8 के अंतर्गत 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।  मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है।
 दिनांक 23.02.2021 को थाना रहली के अपराध की विवेचना हेतु,विवेचक/सहायक उपनिरीक्षक एल.एन. तिवारी, आरक्षक मोहनलाल के साथ ग्राम जूना गया थे। एल.एन. तिवारी ने मोबाईल पर फोन कर उक्त प्रकरण के फरियादी व इस प्रकरण के अभियुक्त अमित कुर्मी को घटनास्थल पर बुलाया,, जो अपने पिता अभियुक्त कमलेश कुर्मी के साथ मौके पर उपस्थित हुआ। अमित कुर्मी की निशादेही पर घटनास्थल का नक्शा तैयार किया। अमित कुर्मी के कथनों के आधार पर मामले से जुड़े साक्षी नंदू के कथन लेने हेतु उसेे तलाश करने पर साक्षी नंदू ग्राम जूना में खैरमाता के चबूतरा के पास मिला, वहां अंधेरा होने से एल.एन. तिवारी टॉर्च की रोशनी में साक्षी नंदू के कथन लेख कर रहा था, उस समय गांव के मोहन कुर्मी व मानसिंह कुर्मी भी मौके पर आ गये। शाम लगभग 06ः40 बजे अभियुक्त कमलेश व अमित आए और जेब से पैसे निकालकर एल.एन. तिवारी से बोले, ये ले लो, तो एल.एन.तिवारी ने कहा किस बात के पैसे और किसने मांगे हैं, तो अभियुक्तगण मां-बहन की अश्लील गालियां देने लगे और कहने लगे कि उनके मन का काम नहीं करते हो तथा उसके हाथ से कागज छीनकर फाड़ दिया। अभियुक्तगण ने उसे झूठे केस में फंसाने का कहा, जब उसने अभियुक्तगण से विवेचना करने देने हेतु कहा तो अभियुक्तगण उसके साथ झूमाझटकी करने लगे, जिससे उसकी वर्दी की शर्ट के बटन टूट गये। अभियुक्तगण ने उसे जान से मारने की धमकी दी। मौके पर उपस्थित मोहन कुर्मी, मानसिंह कुर्मी, अन्य गांव के लोगों व आरक्षक नं. 690 मोहनलाल ने बीच बचाव किया तो अभियुक्तगण वहां से भाग गये। उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-रहली में भा.द.वि की धारा-32, 353, 186, 294, 506, 34 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-8 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।
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