नाबालिग लड़की के साथ चाचा द्वारा दुष्कर्म, तीन धाराओ में उम्र कैद और जुर्माना लगा
सागर। नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त चाचा को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 376(3) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा- 506(भाग-2) के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पॉक्सों एक्ट की धारा-5(एल) सहपठित धारा-6 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-5(एन) सहपठित धारा-6 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूपमें युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दियेजाने का आदेश दिया गया। न्यायालय ने निर्णय पारित करते समय यह टिप्पड़ी की थी कि अभियुक्त पर भी बालिका का चाचा होने के नाते उसके संरक्षण का दायित्व था परंतु अभियुक्त ने उसके भाई की पुत्री/बालिका के साथ बारम्बार बलात्संग जैसा गंभीर अपराध कर किसी स्त्री के उसके घर के अंदर सुरक्षित होने की परिकल्पना को ही खंडित किया है बलात्संग का अपराध सबसे जघन्य अपराध में से एक है तथा एक सुरक्षित समाज तब होता है जब वह बलात्कार मुक्त हो । इन परिस्थितियों में अभियुक्त को युक्तियुक्त रूप से कठोर दंड से दंडित करना न्यायोचित है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीड़िता/बालिका ने दिनॉक 31.08.2022 अपने माता-पिता के साथ उपस्थित होकर इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 30.08.2022 को बालिका दूध लेने गई थी तथा डेयरी से दूध लेकर वापस घर आ रही थी तभी मंदिर के पास उसे उसका चाचा/ अभियुक्त मिला जिसने बालिका को उसके साथ चलने के लिये कहा और बालिका को मंदिर के पीछे ले जाकर उसका मुंह दबाकर उसके साथ गलत काम किया । मौके पर बालिका की मॉ आ गई तो उसे देखकर अभियुक्त छुप गया फिर बालिका उसकी मॉ के साथ घर वापस आ गई और घटना के बारे में पिता को बताया। इसके पहले भी अभियुक्त पीड़िता के साथ दो-तीन बार धमकी देकर गलत काम कर चुका है लंेकिन अभियुक्त द्वारा जान से मारने की धमकी देने के कारण पीड़िता ने घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सुरखी द्वारा धारा-376 (2)(एन),376 (2)(च)ए,376(3),,506भा.दं.सं. , धारा-5 (एल)(एन) सहपठित धारा-6 लैंगिकअपराधों से बालकों का संरक्षणअधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै ।